क्या पुतिन से विपक्ष को नहीं मिलने देना देश की परंपरा पर भारी चोट है?
सारांश
Key Takeaways
- पुतिन की यात्रा पर विपक्षी नेताओं से मुलाकात न होना एक विवादित मुद्दा है।
- कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसे परंपरा पर चोट बताया है।
- संसद में राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाया है।
मुर्शिदाबाद, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान विपक्षी नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं कराने पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की कड़ी आलोचना की।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन हो रहा है। राहुल गांधी के साथ पुतिन साहब की मुलाकात का इंतजाम सरकार को करना चाहिए था, क्योंकि यह हमारी परंपरा है, जो आजादी के बाद से होती आ रही है।"
भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन को रूसी भाषा में अनुवादित 'गीता' भेंट की। इस पर अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को गीता भेंट की। पुतिन साहब भी मोदी को बाइबल भेंट कर सकते हैं, अगर पीएम मोदी पढ़ें तो। पीएम मोदी के गीता देने पर हम कोई आपत्ति नहीं जताते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "आपत्ति जताने का सिर्फ एक कारण है कि हमारे देश में विपक्षी नेताओं को सम्मान देने की परंपरा रही है, जो अब नजर नहीं आ रही है। अगर कोई विदेशी मेहमान आए तो वह विपक्षी नेता के साथ मुलाकात और बातचीत करते हैं, लेकिन पता नहीं क्यों ऐसा नहीं हो रहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की राहुल गांधी के साथ मुलाकात नहीं हो सकी। यह हमारे देश की परंपरा पर एक गहरी चोट है।"
गुरुवार को, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेशी मेहमानों से विपक्षी नेताओं के न मिलने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने विदेश से आने वाले डेलिगेट्स को कहा है कि वे विपक्ष के नेता (एलओपी) से न मिलें।
उन्होंने कहा था, "भारत के संबंध सबके साथ हैं। विपक्ष का नेता एक दूसरा परिप्रेक्ष्य देता है। भारत का हम भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के लोग बाहर के लोगों से मिलें।"