क्या रायपुर का लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर पाताल लोक से जुड़ा है?
सारांश
Key Takeaways
- लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग अद्वितीय है।
- इसमें लगभग एक लाख छिद्र हैं।
- छिद्र पाताल लोक से जुड़ा हुआ है।
- मंदिर की वास्तुकला प्राचीन है।
- भक्तों की आस्था यहां अविस्मरणीय है।
रायपुर, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खरौद का लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके पीछे छिपे रहस्यों के कारण भी यह काफी प्रसिद्ध है। यहां का शिवलिंग अन्य शिवलिंगों से बेहद अलग और अद्वितीय है, जिसके कारण भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं।
कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी। जब भगवान राम ने खर और दूषण जैसे राक्षसों का वध किया, तब इस स्थान का नाम खरौद पड़ा और यहीं लक्ष्मण ने शिवलिंग स्थापित किया, जिसके कारण मंदिर का नाम लक्ष्मणेश्वर महादेव पड़ा।
मंदिर की पहचान इसका अनोखा शिवलिंग है, जिसमें लगभग एक लाख छोटे-छोटे छिद्र हैं। इन्हीं छिद्रों के कारण इसे लक्ष लिंग भी कहा जाता है। इस छिद्रों वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
कम लोग जानते हैं कि इस शिवलिंग में एक विशेष छेद है, जो सीधे पाताल लोक से जुड़ा हुआ माना जाता है। इस छेद में कितना भी पानी डालो, वह कभी नहीं भरता। लोग मानते हैं कि पानी सीधे पाताल लोक में चला जाता है। हालांकि, कुछ लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते।
मंदिर की वास्तुकला भी आकर्षक है। पत्थरों से बनी इसकी पुरानी संरचना इस बात का प्रमाण है कि यह मंदिर कितना प्राचीन है। यहां आने वाले भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं और मानते हैं कि यहां मांगी गई इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं।
यह मंदिर वास्तव में वह स्थान है जहां धर्म, इतिहास और रहस्य का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहां का शांत वातावरण, कहानियां और शिवलिंग का रहस्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है।