क्या राजस्थान में तीन नए कानून समय पर न्याय प्रदान करने में मदद करेंगे? गृह मंत्री शाह

सारांश
Key Takeaways
- तीन नए कानून न्याय प्रणाली में सुधार लाएंगे।
- 2027 के बाद एफआईआर पर तीन साल में न्याय दिलाने की व्यवस्था।
- सजा दिलाने की दर 90 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना।
- सभी प्रकार की वैज्ञानिकता की व्यवस्था।
- 21वीं सदी के सबसे बड़े रिफॉर्म्स।
जयपुर, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान में नए आपराधिक कानूनों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि 160 साल पुराने कानून को समाप्त कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कानूनों के माध्यम से, 2027 के बाद जो भी एफआईआर दर्ज होगी, उस पर तीन साल के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट तक न्याय दिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, "ये तीन नए कानून सभी को सरलता से और समय पर न्याय दिलाने का कार्य करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को 'ईज ऑफ लिविंग' दिया है और इन कानूनों से 'ईज ऑफ जस्टिस' भी प्राप्त होगा। हमारी न्याय प्रणाली अब दंड के बजाय न्याय के सिद्धांत पर आधारित होगी।"
उन्होंने अपील की कि "जो लोग आपराधिक न्याय से जुड़े हैं, उन्हें राजस्थान में लगाए गए तीन नए कानूनों पर आधारित प्रदर्शनी अवश्य देखनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि राजस्थान में सजा दिलाने की दर पहले केवल 42 प्रतिशत थी, जो अब तीन नए कानूनों के लागू होने के एक साल में बढ़कर 60 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। अमित शाह ने कहा, "जब इनका पूर्ण रूप से कार्यान्वयन होगा, तब सजा दिलाने की दर 90 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। इन कानूनों में सभी प्रकार की वैज्ञानिकता की व्यवस्था की गई है।
उद्घाटन भाषण में केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि तीन नए कानूनों में 29 से अधिक स्थानों पर समय-सीमा निर्धारित की गई है। 90 दिनों में पीड़ित को अपडेट देना अनिवार्य है। 14 दिनों में पुलिस रिपोर्ट की प्रति पीड़ित को देनी होगी। 60 दिन और 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किए गए आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार 21वीं सदी के सबसे बड़े रिफॉर्म्स हैं। इसके लागू होने के बाद हमारी न्याय प्रणाली पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक बन जाएगी।