क्या रांची में गोवंश मांस की बिक्री पर हाईकोर्ट ने डीजीपी और फूड कमिश्नर से शपथपत्र मांगा?

सारांश
Key Takeaways
- हाई कोर्ट का आदेश - डीजीपी से शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश।
- स्वच्छता मानकों का उल्लंघन - विक्रेता खुले में अस्वच्छ तरीके से मांस प्रदर्शित कर रहे हैं।
- फूड कमिश्नर का जवाब - विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश।
- नियमों का पालन - विक्रेता पहले नियमों का पालन कर रहे थे, अब फिर से उल्लंघन।
- अगली सुनवाई - चार सप्ताह बाद निर्धारित।
रांची, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाई कोर्ट ने रांची में गोवंश मांस की बिक्री पर राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी से शपथपत्र दाखिल करने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
श्यामानंद पांडेय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में गोवंश मांस की बिक्री खुलेआम की जा रही है। विक्रेता कटे हुए मांस को अस्वच्छ और गंदे तरीके से प्रदर्शित कर रहे हैं। वे न तो काले शीशे का उपयोग कर रहे हैं और न ही मांस को कपड़े से ढक रहे हैं, जो कि स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा के मानकों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शुभम कटारुका ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के अनुसार रांची एसएसपी ने शपथपत्र दाखिल किया था, लेकिन उसमें केवल गोवंश मांस के परिवहन करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का उल्लेख था। एसएसपी ने रांची के डोरंडा, लोअर बाजार जैसे क्षेत्रों में गोवंश मांस की बिक्री को खारिज किया, जबकि कुरैशी मोहल्ला, आजाद बस्ती समेत कई इलाकों में यह प्रथा जारी है और इसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
कोर्ट के आदेश के बाद कुछ दिनों तक विक्रेता नियमों का पालन करते हुए मांस को ढकते और काले शीशे का प्रयोग करते थे, लेकिन अब वे फिर से इन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि रांची के कई क्षेत्रों में दुकानों के बाहर खुले में कटे हुए बकरे और मुर्गियों का मांस प्रदर्शित किया जा रहा है, जो कि एफएसएसएआई के नियमों और सुप्रीम कोर्ट तथा विभिन्न हाई कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है। इस मामले में कोर्ट ने राज्य के फूड कमिश्नर को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।