क्या हस्तशिल्प हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं और आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत भी?
सारांश
Key Takeaways
- हस्तशिल्प हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।
- यह क्षेत्र 32 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- महिलाओं की भागीदारी 68 प्रतिशत है।
- जीआई टैग से उत्पादों की पहचान और विश्वसनीयता बढ़ती है।
- हस्तशिल्प उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को नई दिल्ली में 2023 और 2024 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार वितरित किए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि कला हमारे अतीत की यादों, वर्तमान के अनुभवों और भविष्य की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। प्राचीन काल से, मानव ने चित्रकला और मूर्तिकला के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। कला लोगों को संस्कृति से जोड़ने का कार्य करती है। कला व्यक्तियों को एक-दूसरे से भी जोड़ती है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यदि हमारी सदियों पुरानी हस्तशिल्प परंपरा जीवित और संरक्षित है, तो इसका श्रेय पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे कारीगरों की निष्ठा को जाता है। हमारे कारीगरों ने अपनी कला और परंपरा को समय के साथ ढाला है और मूल भावना को भी बनाए रखा है। उन्होंने अपनी हर कलात्मक रचना में देश की मिट्टी की खुशबू को संजोया है।
उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। यह क्षेत्र देश में 32 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि हस्तशिल्प से रोजगार और आय अर्जित करने वाले अधिकतर लोग ग्रामीण या दूरदराज के क्षेत्रों में निवास करते हैं। यह क्षेत्र रोजगार और आय का विकेंद्रीकरण करके समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक सशक्तीकरण के लिए हस्तशिल्प को बढ़ावा देना आवश्यक है, क्योंकि यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से कमजोर वर्गों को समर्थन प्रदान करता रहा है। हस्तशिल्प न केवल कारीगरों को आजीविका का साधन प्रदान करता है, बल्कि उनकी कला उन्हें समाज में पहचान और सम्मान भी दिलाती है। इस क्षेत्र के विकास से महिला सशक्तीकरण को भी बल मिलेगा, क्योंकि यहां कार्यरत कार्यबल में 68 प्रतिशत महिलाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प उद्योग की सबसे बड़ी ताकत प्राकृतिक और स्थानीय संसाधनों पर निर्भरता है। यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल है और इसका कार्बन उत्सर्जन कम है। आज विश्वभर में पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ जीवनशैली की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में, यह क्षेत्र स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि जीआई टैग दुनिया भर में भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की पहचान को मजबूत कर रहा है। उन्होंने सभी हितधारकों से अपने अद्वितीय उत्पादों के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की दिशा में कार्य करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जीआई टैग उनके उत्पादों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करेगा और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी विश्वसनीयता को बढ़ाएगा। 'एक जिला, एक उत्पाद' (ओडीओपी) पहल हमारे क्षेत्रीय हस्तशिल्प उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय पहचान को भी मजबूत कर रही है। हमारे कारीगरों के पीढ़ी दर पीढ़ी संचित ज्ञान, समर्पण और मेहनत के बल पर, भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय हस्तशिल्प की मांग में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। यह क्षेत्र युवा उद्यमियों और डिजाइनरों को उद्यम स्थापित करने के बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।