क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड दौरे पर पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में की शिरकत?
सारांश
Key Takeaways
- पतंजलि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति ने संबोधित किया।
- राष्ट्रपति ने योग और आयुर्वेद के महत्व को उजागर किया।
- छात्रों को पर्यावरण संरक्षण की सलाह दी गई।
- महर्षि पतंजलि की परंपरा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
- राष्ट्रपति ने छात्रों की भागीदारी की प्रशंसा की।
हरिद्वार, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत की। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इसके बाद, राष्ट्रपति ने हरिद्वार में पतंजलि विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी। उन्होंने छात्राओं की बढ़ती भागीदारी की भी सराहना की।
समारोह में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के महान व्यक्तित्वों ने मानव संस्कृति और ज्ञान को बहुत कुछ दिया है। उन्होंने महर्षि पतंजलि का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने योग के माध्यम से मन की अशुद्धियों को दूर किया, व्याकरण से वाणी को सुधारा और आयुर्वेद से शरीर को स्वस्थ बनाया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय समाज को महर्षि पतंजलि की महान परंपरा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है, जो बहुत सराहनीय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और शोध को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास 'स्वस्थ भारत' बनाने में मदद करते हैं। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय की भारत-केंद्रित शिक्षा दृष्टि की भी प्रशंसा की और कहा कि यह शिक्षा विश्वबंधुत्व की भावना, प्राचीन वैदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक शोध को जोड़कर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
राष्ट्रपति ने छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के अनुसार जीवन जीने का महत्व बताया और कहा कि भविष्य में यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए आवश्यक है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विश्वविद्यालय के छात्र जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संस्कृति की विशेषता यह है कि यह सभी का भला चाहती है। यही सोच समाज में सद्भाव और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने विश्वास जताया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र जीवन में सद्भाव और नैतिक मूल्यों को अपनाकर स्वस्थ समाज और विकसित भारत बनाने में योगदान देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि जब हम एक-एक व्यक्ति को पोषित करते हैं, तो इसका प्रभाव परिवार, समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। पतंजलि विश्वविद्यालय इसी मार्ग पर चलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है और उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यहां से उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र अपने ज्ञान और आचार से समाज और देश की उन्नति में भागीदारी निभाएंगे।