क्या राष्ट्रपति ने 'जी राम जी विधेयक' को मंजूरी दी? ग्रामीण रोजगार गारंटी 125 दिनों तक बढ़ी!
सारांश
Key Takeaways
- ग्रामीण रोजगार को 125 दिनों की गारंटी मिलेगी।
- यह विधेयक मनरेगा का स्थान लेगा।
- केंद्र-राज्य साझेदारी 60:40 होगी।
- विपक्ष ने इसे ग्रामीण गरीबों पर हमला बताया है।
- मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण): वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025' को अपनी स्वीकृति प्रदान की।
इस स्वीकृति के साथ ही यह विधेयक कानून का रूप ले चुका है, जो दो दशक पूर्व के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा। नया कानून केंद्र सरकार के 'विकसित भारत-2047' के दृष्टिकोण से सम्बन्धित है और ग्रामीण भारत में रोजगार को अधिक उत्पादक, टिकाऊ तथा अवसंरचना निर्माण से जोड़ने का प्रयास करेगा।
इस नए अधिनियम की मुख्य विशेषता यह है कि ग्रामीण परिवारों को प्रति वित्तीय वर्ष 125 दिनों की मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी, जो मनरेगा के 100 दिनों से 25 दिन अधिक है। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण परिवारों की आय सुरक्षा मजबूत होगी और वे राष्ट्रीय विकास में बड़ा योगदान दे सकेंगे।
जहाँ एक ओर सरकार ने इसे ग्रामीण भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया, वहीं विपक्ष ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालने का आरोप लगाया है।
विधेयक में मजदूरी भुगतान को साप्ताहिक या अधिकतम 15 दिनों में अनिवार्य किया गया है और विलंब पर मुआवजा भी उपलब्ध होगा। कृषि मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्यों को 60 दिनों की विराम अवधि का प्रावधान है, ताकि श्रमिक बुवाई-कटाई में उपलब्ध रहें। इसमें कार्य चार प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े होंगे, जिनमें जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका अवसंरचना, और मौसम प्रतिकूलता से निपटने के उपाय शामिल हैं।
वित्तीय ढांचे में केंद्र-राज्य साझेदारी 60:40 होगी, जबकि पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए यह साझेदारी 90:10 की होगी। प्रशासनिक व्यय सीमा 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत की गई है। सरकार का कहना है कि यह कानून ग्रामीण रोजगार को कल्याण से आगे ले जाकर दीर्घकालिक विकास का माध्यम बनाएगा।
गौरतलब है कि विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित किया गया था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे ग्रामीण गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि रोजगार का अधिकार मजबूत हुआ है और परिसंपत्ति निर्माण पर फोकस से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।