क्या आप जानते हैं राष्ट्रीय एकता दिवस की कहानी जो 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' तक जाती है?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है।
- यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को याद करने के लिए है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
- इसका उद्देश्य भारत की एकता और साहस को प्रदर्शित करना है।
- यह स्मारक स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। यह विशेष दिवस भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी, ताकि सरदार पटेल के प्रति सम्मान प्रकट किया जा सके।
सरदार पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर मोदी आर्काइव के 'एक्स' हैंडल पर कई पोस्टों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल के प्रति अपने सम्मान एवं 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के निर्माण के विचार को साझा किया।
मोदी आर्काइव के 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा गया है, "अक्टूबर 2010 में, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एकजुट करने का एक विचार साझा किया। वह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाकर सरदार वल्लभभाई पटेल का सम्मान करना चाहते थे। यह विचार केवल प्रतिमा तक सीमित नहीं था; उनका उद्देश्य भारत की एकता, देशवासियों की शक्ति और एक ऐसे नेता की विरासत का जश्न मनाना था जिसने कठिन समय में देश को एकजुट रखने में मदद की।"
पोस्ट में नरेंद्र मोदी के बयानों का भी उल्लेख है। एक बयान में उन्होंने कहा था, "सरदार पटेल की प्रतिमा उन लोगों को याद दिलाएगी जो भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं कि यह राष्ट्र शाश्वत था, है और रहेगा।"
इस पोस्ट में लिखा गया है, "'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' एक स्मारक से कहीं अधिक है। यह भारत की एकता का जीवित प्रतीक और एक दृष्टिकोण के रूप में खड़ी है जिसने एक राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित किया।"
इसके अलावा, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के निर्माण के बारे में भी जानकारी दी गई है। लिखा गया है, "यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है और यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे बिना किसी सहारे के खड़ा करने के लिए डिजाइन किया गया था, जो एक अद्वितीय उपलब्धि है।"
नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह प्रतिमा पूरी दुनिया और आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसे व्यक्ति के साहस और संकल्प की याद दिलाएगी जिसने भारत माता के टुकड़े-टुकड़े करने की साजिश को विफल किया।"
जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को हुआ, तो मोदी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, "आप सभी द्वारा एकत्रित लोहा मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल धातु नहीं है, बल्कि एकता की शक्ति में विश्वास रखने वाले प्रत्येक भारतीय का प्रतीक है।"
'मोदी आर्काइव' के 'एक्स' हैंडल से किए गए एक अन्य पोस्ट में लिखा गया है, "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अब न केवल दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, बल्कि यह भारत की प्रगति और सरदार पटेल के सपनों के साकार होने का प्रतीक भी है।"
पोस्ट में यह भी बताया गया है कि 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' आज हमें याद दिलाती है कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना से एकजुट होकर भारत क्या हासिल कर सकता है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                            