क्या 20 की उम्र में बाहरी खूबसूरती के पीछे छिपी थी अनकही सच्चाई? समांथा ने खोली अपनी जिंदगी की कहानी

सारांश
Key Takeaways
- समांथा ने बताया कि बाहरी दिखावट के पीछे एक गहरी सच्चाई होती है।
- बिसवां दशक में भागदौड़ के बावजूद, आत्म-स्वीकृति महत्वपूर्ण है।
- तीस की उम्र में खुद को पहचानने का महत्व।
- सच्चा प्यार हमें वैसा ही स्वीकार करता है जैसे हम हैं।
- आंतरिक और बाहरी संतुलन की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। साउथ फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस समांथा रुथ प्रभु ने हाल ही में अपना डिजिटल डेब्यू किया है। उन्हें 'फैमिली मैन-2' और 'सिटाडेल: हनी बनी' जैसे प्रोजेक्ट्स में देखा जा चुका है। फिल्मों के साथ ही, एक्ट्रेस अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए भी चर्चा में हैं।
हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने अपनी बीसवें और तीसवें दशक के अनुभवों को साझा किया है। समांथा ने खूबसूरत मस्टर्ड ड्रेस में अपनी तस्वीरें पोस्ट की हैं।
उनकी हैवी ब्लैक बीड्स वाली ड्रेस ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, और इसका शानदार वर्क ड्रेस की खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था। उन्होंने अपने लुक को घुंघराले बाल और साधारण मेकअप से पूरा किया।
लेकिन, सबसे खास बात रही उनका भावनात्मक खुलापन। समांथा ने अपनी उम्र के बीसवें और तीसवें दशक में आए मानसिक और भावनात्मक बदलावों के बारे में बेझिझक बात की।
उन्होंने बताया कि बीसवें दशक में वह हमेशा भाग-दौड़ में लगी रहती थीं, और उन्होंने स्वीकार किया कि उनके चेहरे पर एक मुखौटा था। वह बाहर से जो दिखती थीं, अंदर से वैसी नहीं थीं। इस दोहरी जिंदगी को जीने की बात उन्होंने स्वीकारी।
जैसे ही वह तीस की उम्र में पहुंचीं, उनके अंदर एक गहरा ठहराव आ गया। इस बदलाव ने उन्हें खुद को और अपनी भावनाओं को समझने का मौका दिया। उन्होंने दूसरों की परवाह किए बिना खुद पर ध्यान केंद्रित किया और अपने लिए जिंदगी जी।
उन्होंने कैप्शन में लिखा, "दुनिया कहती है कि तीस के बाद सब कुछ ढलान पर आ जाता है, चेहरे की चमक और खूबसूरती गायब हो जाती है... लेकिन सब कुछ बनने की जल्दी में परफेक्ट हेल्थ, परफेक्ट बॉडी और परफेक्ट टाइम सब कुछ निकल गया"। समांथा आगे लिखती हैं, "मेरा बीसवां दशक शोरगुल और बेचैनी से भरा था, मैंने उसे भागदौड़ में बिता दिया। किसी ने मुझे नहीं बताया कि मैं पहले से ही संपूर्ण हूं, किसी ने मुझे नहीं बताया कि प्यार... सच्चा प्यार... मुझे वैसा ही पा लेगा जैसी मैं हूं।"