क्या एसआईआर जैसी व्यवस्थाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी बनाती हैं?: संजय निषाद
सारांश
Key Takeaways
- कमजोर तबकों के लिए न्याय की आवश्यकता है।
- सरकार सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
- एसआईआर जैसी व्यवस्थाएं लोकतंत्र को पारदर्शी बनाती हैं।
- कानून का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है।
- तकनीकी सुधारों का स्वागत किया जाना चाहिए।
मुजफ्फरनगर, १ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने शनिवार को सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। मंत्री ने समाज के कमजोर तबकों के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य हर वर्ग तक विकास योजनाओं का लाभ पहुँचाना है और इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।
कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि जिन जातियों का सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन अभी भी बरकरार है, उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार सामाजिक न्याय को मजबूत करने के लिए निरंतर संवाद और अध्ययन कर रही हैं।
मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य समाज के हर उस वर्ग तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाना है, जो अब भी मुख्यधारा से दूर है। यदि कुछ जातियाँ ऐतिहासिक रूप से वंचित रही हैं, तो उन्हें संविधान के अनुसार उचित दर्जा मिलना चाहिए। सरकार इस दिशा में ठोस प्रयास कर रही है।
उन्होंने देशभर में चल रहे एसआईआर पर भी अपनी राय व्यक्त की। मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में कानून सर्वोपरि है और हर नागरिक को संविधान द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "हमें कानून का पालन करना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में एक संवैधानिक संस्था होती है जो सही कामकाज सुनिश्चित करती है। कोई भी व्यक्ति इसे नजरअंदाज़ करने की कोशिश क्यों करेगा? कोई इसका विरोध क्यों करेगा? सब कुछ नियमों के अनुसार होना चाहिए और किसी को भी इसमें रुकावट डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।"
संजय निषाद ने यह भी कहा कि एसआईआर जैसी व्यवस्थाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाती हैं। इससे न केवल वोटर पहचान की शुद्धता बनी रहती है, बल्कि फर्जी मतदान की संभावनाएं भी खत्म होती हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी सुधारों का विरोध नहीं, बल्कि उनका स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि यही अच्छे शासन की पहचान है।