क्या सपा सांसद अफजाल अंसारी ने 'जिहाद' पर महमूद मदनी का समर्थन किया?

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क्या सपा सांसद अफजाल अंसारी ने 'जिहाद' पर महमूद मदनी का समर्थन किया?

सारांश

सपा सांसद अफजाल अंसारी ने मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' पर बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने 'जिहाद' शब्द के दुरुपयोग की बात की। जानिए इस विवाद के पीछे की राजनीति और अफजाल अंसारी के विचार।

Key Takeaways

  • अफजाल अंसारी ने 'जिहाद' शब्द का समर्थन किया।
  • 'जिहाद' को संघर्ष के रूप में परिभाषित किया गया।
  • मौलाना मदनी का बयान राजनीतिक चर्चाओं का कारण बना।
  • तालिबान के संदर्भ में जिहाद का उल्लेख किया गया।
  • नफरत फैलाने के लिए 'जिहाद' शब्द का दुरुपयोग किया गया।

नई दिल्ली, ४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत उलेमा-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' संबंधी बयान पर राजनीतिक चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अफजाल अंसारी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और 'जिहाद' के संदर्भ में मौलाना मदनी का खुलकर समर्थन किया है।

उन्होंने 'जिहाद' शब्द को लेकर मीडिया को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि नफरत फैलाने के लिए 'जिहाद' शब्द का गैर-सही उपयोग किया गया है। सपा सांसद ने कहा कि 'लव जिहाद' और 'थूक जिहाद' जैसी अलग-अलग परिभाषाएं गढ़ी गई हैं। 'जिहाद' का दुरुपयोग नफरत फैलाने के लिए किया गया है।

इस बीच, उन्होंने 'जिहाद' को संघर्ष के रूप में परिभाषित किया और कहा, "जब-जब जुल्म होगा, उस अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध करना ही 'जिहाद' है।"

अफजाल अंसारी ने अपने बयान में कहा, "मौलाना मदनी के पिता और दादा, आजादी के संघर्ष के दौरान करीब २० साल तक जेल में रहे। उनका 'ब्रिटिश हुकूमत' के खिलाफ एक 'जिहाद' था। इस प्रकार, मातृभूमि को स्वतंत्र कराने का संघर्ष, जिसे 'जिहाद' कहा जाता है।"

उन्होंने 'वंदे मातरम' पर कहा, "मदर-ए-वतन क्या है? यह एक उर्दू शब्द है। आप हिंदी में 'वंदे मातरम' पसंद करते हैं। इसका अर्थ समझना चाहिए। हम मदर-ए-वतन का सम्मान करते हैं, लेकिन आप पूछते हैं, 'आप इसकी 'बंदगी' क्यों नहीं कर सकते?' यह आपकी सोच है।"

उन्होंने कहा कि जो भी मदर-ए-वतन का सम्मान करता है और उसकी रक्षा के लिए अपना सिर कटा सकता है, उसका जज़्बा अपने वतन के प्रति मोहब्बत के लिए अद्वितीय है।

इसी क्रम में, सपा सांसद ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, "तालिबान ने अमेरिकी जुल्म के खिलाफ लंबा 'जिहाद' किया और अंततः अमेरिकी सेना को देश छोड़कर जाना पड़ा। भारत में वर्षों तक तालिबान को 'जिहादी' और आतंकवादी कहा जाता रहा। सरकार ने तालिबान को कट्टरपंथियों की हुकूमत माना, लेकिन अब तालिबान के नेताओं का स्वागत किया जा रहा है। अब न तो तालिबान को जिहादी माना जा रहा है और न ही आतंकवादी।"

इससे पहले, महमूद मदनी ने अपने बयान में कहा था, 'जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।' मौलाना के इस बयान को कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं और अलग-अलग धर्मगुरुओं ने आपत्ति

Point of View

यह स्पष्ट है कि मौलाना महमूद मदनी का बयान और अफजाल अंसारी का समर्थन राजनीति के एक जटिल पहलू को उजागर करता है। इस प्रकार के चर्चाएं समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ा सकती हैं। हमें सचेत रहना चाहिए और संवेदनशील मुद्दों को समझदारी से संभालना चाहिए।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

अफजाल अंसारी ने 'जिहाद' के बारे में क्या कहा?
अफजाल अंसारी ने कहा कि 'जिहाद' शब्द का दुरुपयोग नफरत फैलाने के लिए किया गया है और इसे संघर्ष के रूप में परिभाषित किया।
मौलाना महमूद मदनी का बयान क्या था?
मौलाना महमूद मदनी ने कहा था, 'जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।'
तालिबान का जिहाद का क्या संदर्भ है?
अफजाल अंसारी ने कहा कि तालिबान ने अमेरिकी जुल्म के खिलाफ लंबा 'जिहाद' किया, जिससे अमेरिकी सेना को देश छोड़ना पड़ा।
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