क्या सावन पुत्रदा एकादशी महादेव और नारायण की कृपा पाने का विशेष दिन है?

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क्या सावन पुत्रदा एकादशी महादेव और नारायण की कृपा पाने का विशेष दिन है?

सारांश

सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त को है, जो भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण अवसर है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। जानिए इस दिन की पूजा विधि और महत्व।

Key Takeaways

  • सावन पुत्रदा एकादशी का महत्वपूर्ण व्रत 5 अगस्त को है।
  • यह व्रत संतान सुख और समृद्धि के लिए लाभकारी है।
  • पूजा विधि में भगवान विष्णु और शिव की पूजा शामिल है।
  • यह व्रत पारिवारिक सौहार्द को बढ़ावा देता है।
  • दान-पुण्य और भक्ति से इस व्रत का पुण्य बढ़ता है।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सावन पुत्रदा एकादशी का महत्त्वपूर्ण व्रत 5 अगस्त को आयोजित किया जा रहा है। यह व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत संतान सुख, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए लाभकारी है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।

दृक पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल एकादशी तिथि 4 अगस्त 2025 को सुबह 11:41 बजे शुरू होगी और 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 5 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 5:45 बजे और सूर्यास्त शाम 7:09 बजे होगा।

पुत्रदा एकादशी का दिन केवल नारायण ही नहीं, बल्कि महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। पूजा विधि भी सरल है। यह व्रत और पूजा संतान के साथ-साथ पूरे परिवार की सुख-शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

धर्मशास्त्रों में दी गई पूजा विधि के अनुसार, प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के चित्र के सामने व्रत का संकल्प लें और विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में दीप, धूप, फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम और शिव स्तोत्र का पाठ करें। एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें। दिनभर व्रत रखें और रात में भगवान का भजन-कीर्तन करें।

दूसरे दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और फिर व्रत का पारण करें।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, पारिवारिक सुख-समृद्धि और पापों का नाश होता है। यह व्रत भगवान विष्णु और शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। दान-पुण्य और भक्ति से इस व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। सावन पुत्रदा एकादशी का यह पर्व और भी महत्वपूर्ण है।

Point of View

जो न केवल व्यक्तिगत सुख को प्रभावित करता है बल्कि समाज में भी समृद्धि और सौहार्द का संचार करता है। यह दिन श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, जो हमें एकजुट होकर अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए प्रेरित करता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व क्या है?
सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द के लिए महत्वपूर्ण है।
इस दिन की पूजा विधि क्या है?
इस दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
कब है सावन पुत्रदा एकादशी?
सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त को है।
इस व्रत का फल क्या है?
यह व्रत संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख में वृद्धि करता है।
क्या इस दिन दान करना आवश्यक है?
द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान करना इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।