क्या शिबू सोरेन के निधन पर लालू प्रसाद यादव ने दुख प्रकट किया?

सारांश
Key Takeaways
- शिबू सोरेन का जीवन और योगदान आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण था।
- उनका निधन कई नेताओं के लिए एक गहरा दुख है।
- लालू प्रसाद यादव ने उनके साथ घनिष्ठ संबंधों का उल्लेख किया।
- उनकी संघर्षशीलता को हमेशा याद किया जाएगा।
- समाज में उनके योगदान की सराहना की जानी चाहिए।
पटना, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "उनके साथ हमारे घनिष्ठ संबंध थे।"
राजद के नेता ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि शिबू सोरेन दलितों और आदिवासियों के एक महान नेता थे। यह गहरे दुख की बात है कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं। हम उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मेरी ओर से उनके परिवार को संवेदनाएं।
शिबू सोरेन, जिन्हें 'दिशोम गुरु' कहा जाता था, का निधन 4 अगस्त को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ। उनकी उम्र 81 वर्ष थी और वह लंबे समय से किडनी की बीमारी तथा ब्रेन स्ट्रोक के कारण आईसीयू में भर्ती थे।
उनके निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने भी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।"
बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने वंचित समाज के उत्थान के लिए उनके संघर्ष को याद करते हुए लिखा, “झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। वंचित समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्ष सदैव स्मरण रहेगा। ईश्वर
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि उन्होंने आदिवासी समुदाय के लोगों को संगठित किया। उन्होंने इस समुदाय को राजनीतिक ताकत में बदलकर राष्ट्रीय राजनीति में उनकी सामाजिक पहचान स्थापित की। नीरज कुमार ने इसे एक दुखद घटना बताते हुए प्रार्थना की कि भगवान उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।