क्या सावन की चतुर्दशी और आयुष्मान योग से मिलती है सुख-समृद्धि?

सारांश
Key Takeaways
- सावन की चतुर्दशी और आयुष्मान योग का विशेष महत्व है।
- इस दिन पूजा से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- पूजा विधि का पालन करें और अच्छे परिणाम प्राप्त करें।
- धर्मशास्त्रों का पालन करना आवश्यक है।
- सामाजिक कल्याण के लिए भी पूजा का महत्व है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सावन माह में चतुर्दशी तिथि और आयुष्मान योग का संगम 6 अगस्त, गुरुवार को हो रहा है। यह दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
दृक पंचांग के अनुसार, सूर्योदय सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 46 मिनट पर होगा। चंद्रमा धनु राशि में संचार करेंगे और नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा दोपहर 2 बजकर 1 मिनट तक रहेगा, इसके बाद उत्तराषाढ़ा रहेगा। आयुष्मान और प्रीति योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही विष्कम्भ योग का भी निर्माण हो रहा है, जो सुबह 7 बजकर 18 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
वहीं, राहुकाल दोपहर 2 बजकर 07 मिनट से 3 बजकर 47 मिनट तक रहेगा, इस दौरान पूजा से बचें।
सावन की चतुर्दशी धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखती है। ऐसे में आयुष्मान योग इसे और भी खास और फलदायी बना देता है, जो दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन महादेव और नारायण की पूजा से सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
धर्मशास्त्रों में पूजन विधि के बारे में भी विस्तार से जानकारी मिलती है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिव मंदिर या घर में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, मदार, दूब, गुड़, काला तिल, अक्षत भस्म आदि अर्पित करें। विधि-विधान से पूजन के बाद 'ओम नम: शिवाय', 'महामृत्युंजय मंत्र' का जप करें। पूजन के बाद शिव चालीसा का पाठ करने के बाद आरती करें।
इस दिन की पूजा से पारिवारिक सुख, आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त या प्रदोष काल में पूजा करने की सलाह दी जाती है।
महादेव की पूजा के बाद नारायण की पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को स्नान कराने के बाद रोली, चंदन, हल्दी चढ़ाएं। उनके समक्ष दीप, धूप जलाने के बाद Narayan को तुलसी पत्र, फूल और माता लक्ष्मी को फूल अर्पित करें। पूजन के बाद 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दान करें। इस दिन फलाहार या सात्विक भोजन करें।