क्या सेना प्रमुख ने युवाओं से ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्र प्रथम की भावना को अपनाना
- अनुशासन और आत्मविश्वास का विकास
- बड़े सपने देखने और कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा
- चरित्र, करुणा और प्रतिबद्धता की महत्वता
- डॉक्टरों और सैनिकों का समान उद्देश्य
नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने युवाओं को राष्ट्र प्रथम की भावना को सर्वोच्च मानने का संदेश दिया है। उन्होंने युवाओं को अनुशासित, आत्मविश्वासी और उद्देश्यपूर्ण नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया, साथ ही ‘राष्ट्र प्रथम’ के आदर्श के प्रति समर्पित रहने का भी आग्रह किया।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के सतना और रीवा क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के साथ यह संवाद किया। उन्होंने मध्य प्रदेश में दो दिवसीय प्रवास के दौरान सतना के सरस्वती शिशु मंदिर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, रीवा के ठाकुर राणमत सिंह कॉलेज और श्याम शाह मेडिकल कॉलेज का दौरा किया।
अपने प्रेरणादायक भाषण में जनरल द्विवेदी ने युवाओं से कहा, “बड़ा सपना देखो, मेहनत करो और अपने संस्कारों एवं नैतिक मूल्यों को मजबूत रखो। असली सफलता चरित्र, करुणा और प्रतिबद्धता से मिलती है।”
उन्होंने मेडिकल कॉलेज के छात्रों के साथ भी संवाद किया। उन्हें संबोधित करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि सैनिक और डॉक्टर, दोनों का मिशन समान है। दोनों जीवन बचाते हैं और दक्षता और करुणा के साथ सेवा करते हैं।
जनरल द्विवेदी ने चिकित्सा समुदाय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर देश की अमूल्य सेवा कर रहे हैं और उनके योगदान से राष्ट्र की ताकत बढ़ती है। उन्होंने युवाओं को निरंतर सीखने, चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्र की प्रगति में गर्व से योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
उनका कहना था कि भारत की असली शक्ति युवाओं की ऊर्जा, नवाचार और ईमानदारी में छिपी है। उन्होंने युवाओं से कहा कि सपने बड़े देखो, विनम्र रहो और गर्व से सेवा करो। सेना प्रमुख की यह यात्रा छात्रों के लिए न केवल प्रेरणादायक रही, बल्कि इसने राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका के प्रति नई चेतना का संचार किया।