क्या शाहीन मलिक एसिड अटैक केस में 16 साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया?

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क्या शाहीन मलिक एसिड अटैक केस में 16 साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया?

सारांश

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 16 साल बाद शाहीन मलिक एसिड अटैक मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना था, और एसिड अटैक के खिलाफ जन जागरूकता को बढ़ाने में मदद की।

Key Takeaways

  • सभी आरोपियों को बरी किया गया है।
  • पुलिस जांच में गंभीर खामियां थीं।
  • शाहीन मलिक ने एनजीओ की स्थापना की है।
  • इस मामले ने एसिड अटैक के मुद्दे पर जन जागरूकता बढ़ाई।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक पर सख्त गाइडलाइंस बनाई हैं।

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के पानीपत की मैनेजमेंट की छात्रा शाहीन मलिक पर हुए एसिड अटैक मामले में 16 साल बाद दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

साल 2009 के इस मामले में सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस जांच में गंभीर खामियां थीं, जिसके कारण आरोप साबित नहीं हो सके।

बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहा। इसी आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। फैसला सुनते ही कोर्ट परिसर में मौजूद शाहीन मलिक भावुक हो गईं।

गौरतलब है कि साल 2009 में शाहीन मलिक हरियाणा के पानीपत स्थित पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं। आरोप था कि उनके तत्कालीन बॉस, जो शादीशुदा था, लंबे समय तक उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करता रहा। जब विवाद बढ़ा और हालात बिगड़े, तो मामला खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया। पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि आरोपी की पत्नी ने यूनिवर्सिटी के ही एक छात्र के साथ मिलकर शाहीन पर एसिड अटैक की साजिश रची थी।

उस समय यह मामला देशभर में सुर्खियों में रहा था और एसिड अटैक जैसी घटनाओं के खिलाफ जन आक्रोश भी देखने को मिला था।

मामले की गंभीरता को देखते हुए साल 2013 में ट्रायल हरियाणा से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था। इसी केस के दौरान एसिड अटैक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। शीर्ष अदालत ने तेजाब की खुलेआम बिक्री पर सख्त गाइडलाइंस बनाने के निर्देश दिए, जो बाद में पूरे देश में लागू किए गए।

जानकारी के अनुसार, उन्होंने एक एनजीओ की स्थापना की है, जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स को मेडिकल सहायता, सुरक्षित आवास और स्किल ट्रेनिंग उपलब्ध कराती है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों में ट्रायल में हो रही देरी पर स्वतः संज्ञान भी लिया था।

Point of View

बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें एसिड अटैक जैसे अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

कोर्ट ने कब फैसला सुनाया?
दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने 24 दिसंबर को फैसला सुनाया।
किस मामले में सभी आरोपी बरी हुए?
शाहीन मलिक पर हुए एसिड अटैक मामले में सभी आरोपी बरी हुए।
एसिड अटैक की घटना कब हुई थी?
यह घटना 2009 में हुई थी।
क्या शाहीन मलिक ने कोई एनजीओ स्थापित किया है?
हाँ, उन्होंने एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए एक एनजीओ स्थापित किया है।
क्यों इस मामले ने देशभर में चर्चा की?
यह मामला एसिड अटैक के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ाने में मददगार रहा।
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