क्या आप एसआईआर करें तो चमत्कार और चुनाव आयोग करे तो वह गुनाहगार?
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग का संविधानिक दायित्व है चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- इंडिया गठबंधन का एसआईआर के प्रति दोहरा रवैया है।
- एलआईसी का निवेश अडानी ग्रुप में सुरक्षित माना जा रहा है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा के पश्चात, राजनीतिक दल चुनाव आयोग के इस निर्णय पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। इसी क्रम में, भारतीय जनता पार्टी के नेता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर एसआईआर को लेकर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व और अधिकार है कि वह देश में चुनाव कराए और चुनाव से पूर्व चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रमाणिकता सुनिश्चित करे।
पूनावाला ने कहा कि इंडिया गठबंधन और कांग्रेस एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, लेकिन यही इंडिया गठबंधन चाहता है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनावों से पहले एसआईआर हो। इसका अर्थ है कि महाराष्ट्र में एसआईआर उचित है और अन्य राज्यों में गलत।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट कोई रोक नहीं लगाता है। ये लोग सुप्रीम कोर्ट में फर्जी याचिका दायर करते हैं। महागठबंधन का कहना है कि एसआईआर एनआरसी लाने का एक तरीका है। टीएमसी, डीएमके और कांग्रेस को हर चीज में साजिश नजर आती है, लेकिन जब 2004 से पहले एसआईआर होते थे, तो क्या वे बैकडोर एनआरसी थे?
मतलब, आप एनआरसी करें तो वह चमत्कार और चुनाव आयोग करे तो वह गुनाहगार। आश्चर्यजनक बात यह है कि एसआईआर पर कांग्रेस कहती है मत करो, सपा कहती है होने दो और उमर अब्दुल्ला कहते हैं, "अभी प्रतिक्रिया नहीं देंगे।"
उन्होंने कहा कि यह एसआईआर नहीं, बल्कि अपने परिवार को बचाने की कोशिश है। यह 'ट्रिपल डी' वाली नीति है। डी से डेफिसिट, डी से डिस्टॉर्शन और डी से दंगा।
इसी बीच, एलआईसी के मुद्दे पर भाजपा नेता ने कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रायोजित और सुनियोजित तरीके से एक आर्थिक आतंकवादी मानसिकता के तहत एक सुपारी हिट जॉब का उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि आज जब भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, भारत की अडानी ग्रुप जैसी निजी कंपनियां जिस प्रकार से विश्व में अपनी छाप छोड़ रही हैं, विदेशी कंपनियां भी इन भारतीय कंपनियों में निवेश करके हजारों करोड़ रुपये लाभ कमा रही हैं। ऐसे में भारत की एलआईसी कंपनी (एक सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम), जिसका अडानी ग्रुप में एक प्रतिशत से कम एक्सपोजर है, उस पर इस तरह से अनर्गल और झूठे तथ्यों के आधार पर एक माहौल बनाने की कोशिश और आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है। यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला एक सोचा-समझा कदम है।
भाजपा नेता ने बताया कि यह निवेशकों को डराने के लिए किया जा रहा है और उनके कॉन्फिडेंस पर कुठाराघात करने जैसा है, जबकि सच्चाई यह है कि एलआईसी अपना निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है, अपने फैक्टर के अनुसार कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि जितना पैसा एलआईसी ने निवेश किया है, उससे ज्यादा अडानी ग्रुप से उन्हें रिटर्न मिला है, जो कि 59 प्रतिशत के आसपास है। आज एलआईसी की मार्केट कैप अधिक है। आज एलआईसी का प्रॉफिट रेट अधिक है। यह वही एलआईसी है जो 2014 से पहले घाटे की कंपनी थी।