क्या सुबह की दिनचर्या स्वस्थ जीवन की नींव है? जानिए आयुर्वेद का दृष्टिकोण

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क्या सुबह की दिनचर्या स्वस्थ जीवन की नींव है? जानिए आयुर्वेद का दृष्टिकोण

सारांश

क्या आप जानते हैं कि सुबह की दिनचर्या आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है? इस लेख में हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार सुबह की आदतें कैसे आपकी सेहत को बेहतर बना सकती हैं।

Key Takeaways

  • सुबह जल्दी उठना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
  • मुख-शुद्धि से पाचन तंत्र सक्रिय होता है।
  • उषःपान से शरीर अंदर से साफ होता है।
  • योग और प्राणायाम से ऊर्जा का संचार होता है।
  • हल्का नाश्ता स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद के अनुसार, सुबह की दिनचर्या, यानी दैनिक दिनचर्या, ही स्वस्थ और संतुलित जीवन की नींव है। विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) का समय सबसे शुभ और ऊर्जावान माना गया है। यह समय शरीर, मन और आत्मा के लिए बेहद शुद्ध और लाभकारी होता है।

सुबह जल्दी उठने की आदत सबसे महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद कहता है कि ब्रह्ममुहुर्ते उत्तिष्ठेत् यानी सूर्योदय से करीब डेढ़ घंटा पहले उठना चाहिए। इस समय वातावरण शांत और ऊर्जा से भरा होता है। जो लोग इस समय उठते हैं, उनकी स्मरण शक्ति, ध्यान और फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है।

उठने के बाद सबसे पहले मुख-शुद्धि करना आवश्यक है, यानी दांत और जीभ की सफाई। नीम, खैर या बबूल की दातून से दांत साफ करना और जीभ पर जमी परत (अम) को खुरचना चाहिए। इससे न केवल मुंह की बदबू दूर होती है, बल्कि पाचन तंत्र भी सक्रिय होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि जीभ की सफाई शरीर के अंदर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती है।

इसके बाद आता है उषःपान (जल सेवन), यानी सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना। अगर यह पानी तांबे या मिट्टी के पात्र में रखा हो तो और भी लाभकारी है। इससे कब्ज, गैस, और त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। यह शरीर को अंदर से साफ करता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।

अब नाक और आंखों की शुद्धि का समय है। सुबह ठंडे पानी से आंखें धोना और नाक में गाय के घी या अणु तेल की दो बूंदें डालना बहुत फायदेमंद होता है। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है, साइनस और एलर्जी से राहत मिलती है और दिमाग शांत रहता है।

सुबह का समय योग, व्यायाम और प्राणायाम के लिए सबसे उपयुक्त है। हल्के आसन जैसे सूर्य नमस्कार, ताड़ासन या अनुलोम-विलोम करने से रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। इससे दिनभर की थकान और तनाव दूर रहता है।

इसके बाद स्नान करना आवश्यक है, जो केवल शरीर की सफाई नहीं, बल्कि मन को भी शुद्ध करता है। ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करने से आलस्य दूर होता है और मन ताजा हो जाता है। स्नान के बाद पूजा या ध्यान का समय होता है। यह आत्मबल और मानसिक शांति को बढ़ाता है। सकारात्मक विचारों से दिन की शुरुआत करने वाला व्यक्ति पूरे दिन खुश और केंद्रित रहता है।

अंत में, सुबह का नाश्ता हल्का और पौष्टिक होना चाहिए, जैसे फल, दलिया, मूंग की खिचड़ी या दूध। इससे पाचन सही रहता है और शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है।

Point of View

यह कहना आवश्यक है कि सुबह की दिनचर्या को अपनाना केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक स्वास्थ्य जागरूकता का हिस्सा है। यदि हम सभी स्वस्थ दिनचर्या अपनाते हैं, तो यह हमारे समाज और राष्ट्र के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगा।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

सुबह की दिनचर्या क्यों महत्वपूर्ण है?
सुबह की दिनचर्या से शरीर और मन को शुद्धि मिलती है, जिससे दिनभर की ऊर्जा और एकाग्रता बढ़ती है।
ब्रह्म मुहूर्त क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 से 6 बजे का समय होता है, जो आयुर्वेद में सबसे शुभ माना जाता है।
सुबह उठने का सही समय क्या है?
सुबह उठने का सही समय सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले होता है।
मुख-शुद्धि कैसे करें?
मुख-शुद्धि के लिए नीम, खैर या बबूल की दातून का उपयोग करें और जीभ की सफाई करें।
सुबह का नाश्ता क्या होना चाहिए?
सुबह का नाश्ता हल्का और पौष्टिक होना चाहिए, जैसे फल, दलिया या दूध।