क्या सुप्रीम कोर्ट में 'श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन अध्यादेश 2025' को चुनौती दी जा रही है?

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क्या सुप्रीम कोर्ट में 'श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन अध्यादेश 2025' को चुनौती दी जा रही है?

सारांश

मथुरा के श्री बांके बिहारी मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। प्रबंधन समिति ने यूपी सरकार के अध्यादेश 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' को चुनौती दी, और सीजेआई तय करेंगे कि सुनवाई कौन सी बेंच करेगी। जानिए इस विवाद का पूरा मामला।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।
  • श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती दी गई है।
  • सीजेआई सुनवाई की बेंच का चयन करेंगे।
  • अध्यादेश के तहत प्रशासनिक नियंत्रण ट्रस्ट को सौंपा गया है।
  • मंदिर का प्रबंधन निजी धार्मिक संस्थान द्वारा किया जाता है।

नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मथुरा के वृंदावन में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति ने यूपी सरकार के अध्यादेश 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीजेआई अब यह तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करेगी।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के समक्ष भेजने का निर्देश दिया है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में बताया गया कि इससे जुड़ी एक और याचिका दूसरी बेंच में लंबित है। इसके चलते कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के समक्ष भेजने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीजेआई अब यह तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करेगी।

दरअसल, श्री बांके बिहारी मंदिर के वर्तमान प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश सरकार के 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस अध्यादेश के तहत मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है, जिसे याचिकाकर्ताओं ने मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है।

याचिका में कहा गया है कि यह मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है। मंदिर राज्य की संपत्ति या ट्रस्ट नहीं है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि श्री बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्थान है, जो स्वामी हरिदास के वंशजों और लगभग 360 सेवायतों द्वारा संचालित होता रहा है। 1939 में बनाई गई प्रबंधन योजना के तहत मंदिर का संचालन होता है, जिसका यह अध्यादेश उल्लंघन करता है। इस प्रबंधन अधिग्रहण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। राज्य द्वारा प्रबंधन और नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए कोई कारण नहीं दिया गया।

Point of View

NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'श्री बांके बिहारी मंदिर' का मामला सुप्रीम कोर्ट में है?
जी हां, श्री बांके बिहारी मंदिर का मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में है।
क्या यूपी सरकार का अध्यादेश विवादित है?
हां, श्री बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति ने यूपी सरकार के 'श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' को चुनौती दी है।
सीजेआई इस मामले में क्या निर्णय लेंगे?
सीजेआई यह तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करेगी।
क्या मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण ट्रस्ट को सौंपा गया है?
हां, इस अध्यादेश के तहत मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण एक नवगठित ट्रस्ट को सौंपा गया है।
क्या यह मंदिर सरकारी संपत्ति है?
नहीं, श्री बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्थान है।