क्या कफ सिरप से मौत के मामले में सीबीआई जांच होगी? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

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क्या कफ सिरप से मौत के मामले में सीबीआई जांच होगी? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों में दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें खुद जांच करने में सक्षम हैं, और बार-बार सुप्रीम कोर्ट से निगरानी की मांग करना न्यायिक प्रणाली पर अविश्वास है। जानिए इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में।

Key Takeaways

  • कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की।
  • राज्य सरकारों की जांच क्षमताओं पर भरोसा जताया गया।
  • बाजार में दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई है।
  • पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग उठाई गई।

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की मृत्यु के मामलों के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के मामलों की जांच राज्य सरकारों द्वारा स्वयं की जा सकती है, और हर बार सुप्रीम कोर्ट से निगरानी की मांग करना न्यायिक प्रणाली पर अविश्वास जैसा प्रतीत होता है।

इस याचिका को वकील विशाल तिवारी ने दाखिल किया था, जिसमें मांग की गई थी कि इस पूरे मामले की जांच किसी राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति द्वारा कराई जाए। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज करें, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो सके।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया था कि पूरे देश में बार-बार कफ सिरप या अन्य दवाओं के कारण बच्चों की मौत की घटनाएँ सामने आती रही हैं, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। इसलिए यह आवश्यक है कि बाजार में आने से पहले सभी दवाओं का उचित परीक्षण किया जाए।

वकील तिवारी ने यह भी तर्क दिया कि दवाओं में उपयोग होने वाले डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायनों की बिक्री और निगरानी पर सख्त नियम बनाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों। उन्होंने यह भी मांग की थी कि इस मामले में पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए और जिन राज्यों में एफआईआर दर्ज हैं, उन्हें एक स्थान पर स्थानांतरित कर एक समान जांच की जाए।

साथ ही, याचिका में यह भी आग्रह किया गया कि कफ सिरप के नाम पर जहरीली दवाएँ बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं और उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य सरकारों का मामला है और वे स्वयं जांच करने में सक्षम हैं। यदि हर मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा, तो यह राज्य सरकारों पर अविश्वास जताने जैसा होगा।

उन्हें याचिकाकर्ता की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब भी कुछ होता है, ये अखबार पढ़कर पीआईएल दाखिल कर देते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने तिवारी से पूछा कि अब तक उन्होंने कितनी पीआईएल दाखिल की हैं। तिवारी ने उत्तर दिया कि 8 या 10।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई टिप्पणी किए यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि राज्य सरकारें इस मामले में खुद कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सक्षम हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय राज्य सरकारों की जांच क्षमताओं पर भरोसा जताता है। हालांकि, बच्चों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर कड़ी निगरानी हो। यह मुद्दा हमारे समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ऐसे मामलों की जांच करने में सक्षम हैं और हर बार सुप्रीम कोर्ट से निगरानी की मांग करना न्यायिक प्रणाली पर अविश्वास है।
क्या राज्य सरकारें जांच कर सकती हैं?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें इस मामले की जांच करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।
क्या कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत की घटनाएँ बढ़ रही हैं?
जी हां, देशभर में कफ सिरप और अन्य दवाओं के कारण बच्चों की मौत की घटनाएँ सामने आई हैं, लेकिन इस पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या इस मामले में पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलेगा?
याचिका में यह मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे?
याचिका में कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने और कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया।