क्या सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की जमानत याचिका खारिज की?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट की जमानत याचिका खारिज की।
- भट्ट पर ड्रग प्लांटिंग का आरोप है।
- कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है।
- भट्ट लंबे समय से जेल में हैं।
- भट्ट के वकील ने उनकी सेहत को जमानत का आधार बताया।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने 1996 के एक पुराने ड्रग प्लांटिंग मामले में उन्हें दी गई 20 साल की सजा को निलंबित करने और जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान के एक वकील को फंसाने के लिए उसके होटल के कमरे में अफीम प्लांट करवाई थी।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने भट्ट की याचिका पर सुनवाई की और इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में राहत देने के पक्ष में नहीं है। संजीव भट्ट लंबे समय से जेल में हैं और पहले भी कई याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं।
संजीव भट्ट के वकील और जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल पहले ही सात साल तीन महीने से अधिक की सजा काट चुके हैं। मामले में केवल 1.015 किलोग्राम अफीम बरामद हुई थी, जो कि कमर्शियल मात्रा में नहीं आती। सिब्बल ने कहा कि भट्ट की सेहत भी ठीक नहीं है और लंबी सजा को देखते हुए उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
दूसरी ओर, गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने इसका विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह कोई साधारण मामला नहीं है, बल्कि गंभीर साजिश का हिस्सा था। संजीव भट्ट ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अफीम प्लांट की थी ताकि एक निर्दोष व्यक्ति को फंसाया जा सके। मनिंदर सिंह ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट के तहत यह अपराध बहुत गंभीर है और जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता।
यह मामला 1996 का है, जब संजीव भट्ट बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। उस समय पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को पालनपुर के एक होटल से अफीम बरामदगी के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में पता चला कि यह झूठा केस था और संपत्ति विवाद सुलझाने के लिए भट्ट ने यह साजिश रची। पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर आईबी व्यास ने 1999 में गुजरात हाईकोर्ट में इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद जांच हुई और भट्ट पर मुकदमा चला।