क्या देश में हर धर्म के लोगों को अपनी बात रखने का हक है? : सुरिंदर कुमार चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- हर धर्म के लोगों को संविधान के तहत समान अधिकार हैं।
- शहीदों को याद करने की स्वतंत्रता आवश्यक है।
- 13 जुलाई की घटना का ऐतिहासिक महत्व है।
- अनुच्छेद 370 के हटने से छुट्टी रद्द हुई।
- सुरिंदर कुमार चौधरी द्वारा दिए गए बयान का महत्व।
जम्मू, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा है कि देश में हर धर्म को मानने वाले व्यक्तियों को हमारा संविधान समान अधिकार प्रदान करता है। सभी को अपने शहीदों को याद करने का अधिकार होना चाहिए।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा, "13 जुलाई की घटना को लेकर जिस तरह का माहौल निर्मित किया गया, उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। कश्मीर के अनेक नेताओं को उनके निवास में नजरबंद कर दिया गया। वे सभी अपने शहीदों को याद करना चाहते थे और उन्हें यह स्वतंत्रता दी जानी चाहिए थी।"
उन्होंने कहा कि 13 जुलाई की घटना अंग्रेजों के काल में हुई थी। हर समुदाय के लोगों को अपने शहीदों को याद करने की अनुमति होनी चाहिए। आजादी के बाद जो संविधान बना, उसमें भी सभी को समान अधिकार दिए गए हैं।
चौधरी ने कहा, देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नाथूराम गोडसे को मानते हैं, जबकि उसने महात्मा गांधी की हत्या की थी। फिर, 13 जुलाई के शहीदों को याद करने में क्या समस्या है।
ज्ञात रहे कि 13 जुलाई 1931 को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। इस दौरान महाराजा की सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिससे 22 लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद कश्मीर में हिंसा फैल गई।
जम्मू के लोग इस कार्यक्रम का विरोध करते रहे हैं। आज़ादी के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला ने इस दिन को सरकारी छुट्टी के रूप में घोषित किया था। केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तो इस दिन की छुट्टी रद्द कर दी गई।