क्या झारखंड में सूर्या हांसदा के एनकाउंटर की होगी निष्पक्ष जांच?

सारांश
Key Takeaways
- सूर्या हांसदा का एनकाउंटर 11 अगस्त को हुआ था।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
- स्थानीय लोग निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
- सूर्या का राजनीतिक करियर कई पार्टियों से जुड़ा रहा है।
- एनकाउंटर पर उठ रहे सवाल कानून व्यवस्था के मुद्दे को दर्शाते हैं।
रांची, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। गोड्डा जिले के ललमटिया निवासी और विधानसभा चुनावों में भाग ले चुके सूर्या हांसदा के संदिग्ध पुलिस एनकाउंटर मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनएसजीसी) ने संज्ञान लिया है।
आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, गोड्डा जिले के उपायुक्त और एसपी को नोटिस जारी किया है। उन्हें तीन दिन के भीतर अपने समक्ष पेश होकर एनकाउंटर के बाद की गई शिकायतों और उनकी जांच पर जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि नोटिस के बावजूद अधिकारी उपस्थित नहीं होते हैं, तो उन्हें समन जारी किया जा सकता है। यह नोटिस राज्यसभा सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की शिकायत के आधार पर जारी किया गया है।
सूर्या हांसदा का कथित एनकाउंटर 11 अगस्त को बोआरीजोर थाना क्षेत्र के ललमटिया धमनी पहाड़ में हुआ था। उनकी गिरफ्तारी 10 अगस्त की शाम को देवघर जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव से की गई थी।
सूर्या को सादे लिबास में बाइक से आए पुलिसकर्मियों ने उनकी मौसी के घर से पकड़कर ले गए थे। उनका राजनीतिक करियर कई पार्टियों से जुड़ा रहा है। उन्होंने पहली बार 2009 में झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ा और 2014 में भी उसी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे। 2019 में भाजपा ने उन्हें टिकट दिया था, जिसमें वे दूसरे स्थान पर रहे।
2024 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़कर जेएलकेएम (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा) से चुनाव लड़ा, लेकिन किसी भी चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए।
सूर्या हांसदा के खिलाफ हाल ही में साहिबगंज के मिर्जा चौकी थाना और गोड्डा के ललमटिया थाना में कई गंभीर अपराधों में एफआईआर दर्ज की गई थी। सूर्या के कथित एनकाउंटर के बाद स्थानीय लोग और उनके परिवार के सदस्य इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।