क्या तमिलनाडु के श्रीरंगम मंदिर में वैकुंठ एकादशी उत्सव में श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला?

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क्या तमिलनाडु के श्रीरंगम मंदिर में वैकुंठ एकादशी उत्सव में श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला?

सारांश

तमिलनाडु के श्रीरंगम में वैकुंठ एकादशी का धार्मिक उत्सव श्रद्धा और भक्ति के अद्भुत संगम का गवाह बना। लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान रंगनाथ के दर्शन किए, और मोक्ष द्वार का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण आयोजन था। जानिए इस उत्सव की खासियतों और भक्तों की भावनाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • वैकुंठ एकादशी का उत्सव आस्था का प्रतीक है।
  • भक्तों ने भगवान रंगनाथ के दर्शन किए।
  • मुख्य आकर्षण परमपद वासल का उद्घाटन था।
  • उत्सव में लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
  • इसका आयोजन 19 दिसंबर से 8 जनवरी तक होता है।

चेन्नई, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के ऐतिहासिक नगर श्रीरंगम में मंगलवार को वैकुंठ एकादशी के शुभ अवसर पर आस्था और भक्ति का एक अद्वितीय मिलन देखा गया। श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में लाखों श्रद्धालु भगवान रंगनाथ के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र हुए।

विष्णु भक्ति परंपरा के प्रमुख त्योहारों में से एक वैकुंठ एकादशी पर तमिलनाडु और आस-पास के राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त मंदिर परिसर में पहुंचे। मंदिर को आकर्षक रोशनी और फूलों से सजाया गया था, जहाँ भक्तों के जयकारे “गोविंदा गोविंदा” और “रेंगा रेंगा” से वातावरण भक्तिमय हो गया।

उत्सव का मुख्य आकर्षण सुबह तड़के ‘परमपद वासल’ (मोक्ष द्वार) का विधिवत उद्घाटन था, जिसे मोक्ष का प्रवेश द्वार माना जाता है। सुबह करीब 4:30 बजे भगवान के चल विग्रह श्री नाम्पेरुमल को भव्य आभूषणों और पुष्प मालाओं से सजाकर विशेष जुलूस में निकाला गया।

जुलूस ‘राजा महेंद्रन तिरुचुट्टू’ और ‘कुलशेखरन तिरुचुट्टू’ से होते हुए ‘व्रज नाड़ी मंडपम’ पहुँचा, जहाँ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच धार्मिक अनुष्ठान किए गए। सुबह करीब 5:45 बजे पवित्र ‘परमपद वासल’ के द्वार खोले गए, जो इस पर्व का आध्यात्मिक शिखर माना जाता है।

हजारों श्रद्धालुओं के जयघोष के बीच भगवान का चल विग्रह मोक्ष द्वार से होकर निकला। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए कई भक्त सोमवार रात से ठंड में कतार में खड़े थे।

इसके बाद भगवान को ‘मणल वेली’ ले जाया गया और फिर हजार स्तंभों वाले मंडप स्थित ‘तिरुमामणि आस्थान मंडपम’ में विराजमान किया गया, जहाँ दिनभर श्रद्धालु दर्शन और पूजा-अर्चना करते रहे।

हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्त मंत्री पी.के. शेखर बाबू और वरिष्ठ अधिकारी व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए मौजूद रहे। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया ताकि भीड़ प्रबंधन सुचारू रूप से हो सके।

यह ध्यान देने योग्य है कि 22 दिवसीय वैकुंठ एकादशी उत्सव की शुरुआत 19 दिसंबर को हुई थी। यह उत्सव दो चरणों ‘पगल पथु’ और ‘रा पथु’ में मनाया जाता है।

यह वार्षिक धार्मिक उत्सव 8 जनवरी को ‘नम्माझवार मोक्षम्’ के आयोजन के साथ समाप्त होगा, जिसे इस पर्व का आध्यात्मिक समापन माना जाता है।

Point of View

बल्कि यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक भी है। लाखों भक्तों की एकत्रता और उनके उत्साह ने इस पर्व को और भी खास बना दिया है। यह उत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण है, जो हमें एकता और भक्ति की भावना से जोड़ता है।
NationPress
30/12/2025

Frequently Asked Questions

वैकुंठ एकादशी क्या है?
वैकुंठ एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है।
श्रीरंगम का मंदिर कहाँ स्थित है?
श्रीरंगम का मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली में स्थित है।
इस उत्सव में कितने श्रद्धालु शामिल हुए?
लाखों श्रद्धालु इस उत्सव में भाग लेने के लिए आए।
उत्सव की शुरुआत कब हुई?
उत्सव की शुरुआत 19 दिसंबर को हुई थी।
यह उत्सव कब समाप्त होगा?
यह उत्सव 8 जनवरी को 'नम्माझवार मोक्षम्' के आयोजन के साथ समाप्त होगा।
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