क्या हैं वो तीन ज्योतिर्लिंग, जिनके कई स्थानों पर होने का दावा किया जाता है?

सारांश
Key Takeaways
- ज्योतिर्लिंग की मान्यता गहरी धार्मिक आस्था पर आधारित है।
- भीमाशंकर, वैद्यनाथ और घृष्णेश्वर जैसे ज्योतिर्लिंगों के कई स्थानों पर होने का दावा किया जाता है।
- इन स्थानों की यात्रा से पापों का नाश और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
नई दिल्ली, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिव महापुराण में मिलता है। इन ज्योतिर्लिंगों को प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। ये स्थान अद्भुत ऊर्जा से भरे होते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और इनके दर्शन से पापों का नाश, मानसिक शांति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), त्रयम्बकेश्वर (महाराष्ट्र), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घुश्मेश्वर (महाराष्ट्र) शामिल हैं। शिव महा पुराण के कोटिरुद्र संहिता में इनका विस्तृत वर्णन है।
इसके अलावा चार ज्योतिर्लिंग ऐसे हैं, जिनका देश के अन्य स्थानों पर मौजूद होने का दावा किया जाता है, जैसे भीमाशंकर, वैद्यनाथ, घृष्णेश्वर और नागेश्वर।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, जिसे मोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है, पुणे जिले के भीमाशंकर गांव में स्थित है। यह मंदिर पुणे से 110 किलोमीटर दूर है और भीमा नदी के पास है।
कहा जाता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप जिले में भी है। कुछ लोग नैनीताल के उज्जनक में भी भीमाशंकर का स्थान मानते हैं।
वैद्यनाथ धाम, झारखंड के देवघर में स्थित है और इसे रावणेश्वर महादेव भी कहा जाता है। वहीं, महाराष्ट्र के परली में और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भी इसके होने का दावा किया जाता है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र के एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। वहीं, राजस्थान में भी इसे लेकर दावा किया जाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है और इसे दक्षिण हैदराबाद में भी मानते हैं।