क्या तेजस्वी यादव ने हार के डर से चुनाव बहिष्कार का संकेत दिया?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का चुनाव बहिष्कार का संकेत
- भाजपा की कड़ी प्रतिक्रिया
- मतदाता सूची के पुनरीक्षण के मुद्दे
- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की तीव्रता
- जनता की राय का महत्व
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में एसआईआर मुद्दे पर तेजस्वी यादव के बयानों ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ तेजस्वी यादव ने आगामी चुनावों का बहिष्कार करने के संकेत दिए हैं। भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रियाहार के डर से ऐसा कर रहे हैं।
भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा, "तेजस्वी यादव भयभीत हैं। वे चुनाव बहिष्कार की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें एसआईआर से कोई समस्या नहीं है, बल्कि वे चुनाव हारने का डर महसूस कर रहे हैं। इसी कारण उन्होंने यह नाटक शुरू किया है।"
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में शशांक मणि त्रिपाठी ने आगे कहा, "बिहार में जनमत भाजपा के पक्ष में है। इससे तेजस्वी यादव घबरा गए हैं।"
भाजपा सांसद दामोदरदास अग्रवाल ने भी तेजस्वी यादव को जवाब दिया। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया पर कहा कि मृतकों के नाम हटाना, दोहरे नाम को एक जगह करना और अवैध रूप से रहने वाले लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाना ये तीन प्रमुख मुद्दे हैं।
दामोदरदास अग्रवाल ने सवाल उठाते हुए कहा, "क्या बांग्लादेशियों, रोहिंग्या और अवैध रूप से रहने वाले लोगों को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए? क्या दो अलग-अलग स्थानों पर नाम वाले मतदाताओं को छूट मिलनी चाहिए? क्या १८ लाख मृत व्यक्तियों के नाम भी मतदाता सूची में रहना चाहिए, ताकि वे फर्जी वोट डाल सकें?"
तेजस्वी यादव पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "वह कौन सा मुद्दा है, जिस पर तेजस्वी यादव की असहमति है? क्या वे रोहिंग्या या फर्जी मतदाताओं के माध्यम से चुनावों को प्रभावित करना चाहते हैं?"
इससे पहले, तेजस्वी यादव ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के बारे में हंगामे के बीच 'चुनाव बहिष्कार' का सुझाव दिया था। जब उनसे पूछा गया कि क्या विपक्ष आपसी सहमति से चुनावों का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है, तो तेजस्वी यादव ने कहा, "इस पर भी चर्चा हो सकती है। हम देखेंगे कि जनता क्या चाहती है और सबकी राय क्या है।"