क्या तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार का संकेत दिया?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का चुनाव बहिष्कार का संकेत एक नई बहस का प्रारंभ है।
- जदयू ने इसे लोकतंत्र विरोधी बताया है।
- राजद के विधायक तेजस्वी के बयान का समर्थन कर रहे हैं।
- सरकार की मतदाता पुनरीक्षण नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- राजद का मानना है कि बिहार की जनता उनके साथ है।
पटना, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार का संकेत देकर एक नई चर्चा का प्रारंभ कर दिया है। इस मुद्दे पर अब राजद और जदयू के नेता आमने-सामने आ गए हैं। जदयू ने तेजस्वी यादव के इस ऐलान को लोकतंत्र विरोधी करार दिया, वहीं दूसरी ओर राजद के नेताओं ने इस बयान का समर्थन किया है।
तेजस्वी के इस बयान पर जदयू, राजद और विपक्ष के कई नेताओं ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से अपनी राय साझा की है। बिहार सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा ने तेजस्वी यादव के बयान का विरोध करते हुए कहा कि ये लोग अलोकतांत्रिक हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव बहिष्कार की धमकी देने वाले व्यक्तियों का भारत के संविधान से कितना प्रेम है, यह स्पष्ट हो रहा है। ऐसे लोगों को प्रदेश की जनता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।
जेडीयू नेता खालिद अनवर ने तेजस्वी यादव के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा करके ये लोग संविधानिक व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, हम ऐसा नहीं होने देंगे। यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। विपक्ष का यह रवैया दर्शाता है कि इन लोगों का संविधान पर कितना भरोसा है। आखिर आपने कैसे मान लिया कि सूची में गरीब मतदाताओं का नाम कट जाएगा? पहले तो आप सूची आने दीजिए। इलेक्शन कमीशन कोई भगवान नहीं है। भारत की कोई भी संवैधानिक संस्था संविधान से ऊपर नहीं है। यह बात विपक्ष को समझनी चाहिए।
राजद विधायक वीरेंद्र सिंह ने तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हम उनके इस बयान का समर्थन करते हैं। यदि चुनाव आयोग का रवैया ऐसा ही रहा, तो हम भविष्य में ऐसे ही निर्णय लेंगे और हमें पूरा विश्वास है कि बिहार की जनता इस निर्णय में हमारे साथ होगी।
राजद विधायक ललित यादव ने मतदाता पुनरीक्षण को लोकतंत्र का कलंक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के इशारे पर यह सब कर रही है। इसी को देखते हुए हम विधानसभा में चर्चा की मांग कर रहे हैं। लेकिन, सरकार का रवैया इस पर उदासीन बना हुआ है, जिस पर कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसा करके गरीबों का वोट काटा जा रहा है। जिन लोगों का वोट काटा गया है, उसे जोड़ा जाना चाहिए। यही नहीं, लोकतंत्र में जिन लोगों ने वोट डाला था, अब उनका भी वोट काटा जा रहा है। यदि सरकार मतदान पुनरीक्षण कर रही है, तो उन्हें बिहार की जनता को पर्याप्त समय देना चाहिए। लेकिन, अफसोस कि सरकार की ओर से बिहार की जनता को पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है।
मंत्री श्रवण कुमार ने तेजस्वी यादव के बयान को हताशा का प्रतीक बताया और कहा कि ऐसा करके ये लोग धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोग कुछ नहीं कर सकते हैं। ऐसे बयान देकर ये लोग प्रदेश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
भाकपा माले के अजीत कुशवाहा ने तेजस्वी यादव के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जब हमारे वोटरों का नाम ही कट जाएगा, तो हम लोग चुनाव लड़कर क्या करेंगे? वहीं, बार-बार यह लोग कह रहे हैं कि किसी का भी नाम नहीं कटेगा। अब यदि किसी का नाम कटेगा ही नहीं, तो आखिर आप लोग मतदान पुनरीक्षण कर ही क्यों रहे हैं?
एआईएमआईएम के नेता अख्तरुल इमाम ने तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यदि मतदाता पुनरीक्षण की आड़ में मतदाता सूची से लोगों का नाम काटने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो हमें निश्चित रूप से यह फैसला लेना होगा।