क्या तेजस्वी यादव के दावे से महागठबंधन में फूट पड़ी है?

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव ने 'हर घर सरकारी नौकरी' का वादा किया है।
- महागठबंधन में मतभेद सामने आ रहे हैं।
- पप्पू यादव का कहना है कि यह मुद्दा ही नहीं है।
- कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने भी समर्थन नहीं किया।
- घोषणापत्र आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।
पटना, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में 'हर घर सरकारी नौकरी' का वादा किया है, लेकिन इस घोषणा के कारण महागठबंधन में दो फाड़ दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस नेता और पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का कहना है कि बिहार में सरकारी नौकरी का मुद्दा ही नहीं है।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव के 'हर घर में सरकारी नौकरी' देने के वादे पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, "यहां सरकारी नौकरी मुद्दा नहीं है। सरकारी नौकरी का मामला नहीं है। तेजस्वी यादव का कहना है कि रोजगार देंगे। इसका संदर्भ सरकारी नौकरी से नहीं है।"
सिर्फ पप्पू यादव ही नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने भी तेजस्वी यादव के वादे का समर्थन नहीं किया है।
'हर घर सरकारी नौकरी' के सवाल पर अशोक गहलोत ने कहा, "थोड़ा इंतजार कीजिए। घोषणापत्र आने वाला है। उसमें सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।"
हालांकि, इस दौरान पत्रकारों ने अशोक गहलोत से सीधे पूछ लिया कि "मेनिफेस्टो से पहले तेजस्वी यादव घोषणा करते जा रहे हैं, पहले भी ऐलान किया, तो क्या महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है?"
जवाब में अशोक गहलोत ने कहा, "कुछ चीजें हैं जिन्हें हम हासिल करना चाहते हैं और हम दिखाना चाहते हैं कि सरकार बनने के बाद हम ये चीजें करेंगे, लेकिन आखिर में जब महागठबंधन का घोषणापत्र आएगा तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।"
इससे पहले, तेजस्वी यादव ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि बिहार में सरकार बनते ही 20 दिनों के अंदर अधिनियम लाया जाएगा और अगले 20 महीनों में 'हर घर में सरकारी नौकरी' सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "बिहार के हर परिवार में सरकारी नौकरी होगी। इससे हमारे साथ-साथ बिहार की जनता सरकार को चलाने का काम करेगी।"
अहम यह है कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस और अन्य दलों के साथ बिना घोषणापत्र के ही 'हर घर सरकारी नौकरी' का वादा किया। फिलहाल इस पर महागठबंधन के घटक दलों में मतभेद दिखाई पड़ने लगे हैं।