क्या है 11वीं शताब्दी में निर्मित महादेव का मंदिर जो विज्ञान को चुनौती देता है?

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क्या है 11वीं शताब्दी में निर्मित महादेव का मंदिर जो विज्ञान को चुनौती देता है?

सारांश

तेलंगाना के नलगोंडा में स्थित छाया सोमेश्वर मंदिर भक्ति और विज्ञान का अद्भुत संगम है। यहां महादेव की छाया का रहस्य न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, बल्कि यह वास्तुकला और विज्ञान का भी बेजोड़ उदाहरण है। जानिए इस मंदिर की अनोखी विशेषताएं और यहां का ऐतिहासिक महत्व।

Key Takeaways

  • छाया सोमेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं-12वीं शताब्दी में हुआ था।
  • मंदिर की अद्भुत छाया शिवलिंग पर स्थिर रहती है।
  • यह मंदिर चोल वंश द्वारा निर्मित है।
  • मंदिर में तीन गर्भगृह हैं, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं।
  • परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहां प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं।

तेलंगाना, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ‘विश्व के नाथ’ को समर्पित सावन का महीना चल रहा है। देश-विदेश के हर शिवालय में ‘हर हर महादेव’ और ‘बोल बम’ की गूंज सुनाई दे रही है। भारत में हर शिव मंदिर भक्ति और आश्चर्य की एक अनोखी कहानी बयां करता है। ऐसा ही एक अद्भुत शिवालय तेलंगाना के नलगोंडा जिले में स्थित है, जो न केवल भक्ति की गाथा सुनाता है, बल्कि हैरान भी करता है।

मंदिर का नाम छाया सोमेश्वर है, जहां महादेव की छाया देखी जाती है। तेलंगाना पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर इस मंदिर की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।

पर्यटन विभाग के अनुसार, यह 11वीं-12वीं शताब्दी का शिवालय न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि विज्ञान और कला का अद्भुत उदाहरण भी है। हैदराबाद से 104 किलोमीटर और नलगोंडा बस स्टेशन से 4 किलोमीटर दूर पनागल में स्थित यह मंदिर चोल वंश द्वारा बनाया गया था। मंदिर का नाम ‘छाया सोमेश्वर’ इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां एक स्तंभ की छाया दिनभर शिवलिंग पर पड़ती रहती है। यह छाया रहस्य और आश्चर्य का केंद्र है।

यह छाया वास्तव में किसी एक स्तंभ की नहीं, बल्कि गर्भगृह के सामने रखे चार स्तंभों के प्रकाश परावर्तन से बनने वाला अंधकारमय क्षेत्र है। इन स्तंभों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि सूर्य की स्थिति बदलने के बावजूद छाया शिवलिंग पर स्थिर रहती है।

यह वास्तुकारों की वैज्ञानिक समझ और रचनात्मकता का अनूठा उदाहरण है। मंदिर परिसर में तीन गर्भगृह हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव को समर्पित हैं। ये तीनों अलग-अलग दिशाओं की ओर मुख किए हुए साझा महामंडप से जुड़े हैं।

मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों की उभरी हुई मूर्तियां बारीकी से उकेरी गई हैं, जो कला प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। परिसर में एक संग्रहालय भी है, जहां येल्लेश्वरम गांव से प्राप्त प्राचीन शिवलिंग और अन्य मूर्तियां संरक्षित हैं। ये मूर्तियां उस समय की हैं, जब पास का पचला रामलिंगेश्वर मंदिर जलमग्न हो गया था।

छाया सोमेश्वर मंदिर से 1.2 किलोमीटर दूर स्थित रामलिंगेश्वर मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए एक और आकर्षण है। सावन और महाशिवरात्रि के अलावा अन्य विशेष दिनों में भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो इस मंदिर की छाया के रहस्य और इसकी ऐतिहासिक भव्यता को देखने आते हैं।

Point of View

बल्कि यह भारतीय वास्तुकला और विज्ञान का अद्भुत उदाहरण भी है। इसे देखने के लिए हर साल हजारों भक्त यहां आते हैं, जो इसकी भव्यता और रहस्य को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। यह स्थान न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाता है।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

छाया सोमेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर तेलंगाना के नलगोंडा जिले में स्थित है।
इस मंदिर की खासियत क्या है?
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां एक स्तंभ की छाया दिनभर शिवलिंग पर पड़ती है।
मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
इसका निर्माण 11वीं-12वीं शताब्दी में किया गया था।
क्या इस मंदिर में अन्य देवताओं के गर्भगृह हैं?
हाँ, मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के लिए तीन गर्भगृह हैं।
क्या यहां कोई संग्रहालय है?
हाँ, मंदिर परिसर में एक संग्रहालय है, जहां प्राचीन मूर्तियों को संरक्षित किया गया है।