क्या तेलंगाना विधानसभा सत्र एक घंटे की कार्यवाही के बाद स्थगित हो गया?
सारांश
Key Takeaways
- सत्र में केवल एक घंटे की कार्यवाही हुई।
- भाजपा की मांग है कि सत्र 30 दिनों तक चले।
- सरकार ने चुनावी वादे पूरे नहीं किए।
- कृषि और रोजगार के मुद्दे चर्चा के लिए आवश्यक हैं।
- भाजपा ने कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना विधानसभा सत्र के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। भाजपा तेलंगाना के अध्यक्ष एन. रामचंद्र राव ने कहा कि विधानसभा सत्र आज आरंभ तो हुआ, लेकिन सरकार ने इसे बहुत ही हल्के में लिया। उनका कहना है कि पहले दिन केवल करीब एक घंटे की कार्यवाही हुई, जिसमें शून्यकाल के दौरान कुछ प्रश्न-उत्तर हुए और फिर विधानसभा को 2 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
रामचंद्र राव ने बताया कि सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि यह विधानसभा सत्र 4 जनवरी को समाप्त होगा। उन्होंने प्रश्न उठाया कि इतने कम समय में राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर कैसे चर्चा हो सकती है। भाजपा का मानना है कि यह सत्र कम से कम 30 दिनों तक चलना चाहिए, ताकि तेलंगाना के समक्ष उपस्थित वास्तविक समस्याओं पर गंभीर विचार-विमर्श किया जा सके।
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में केवल पानी का मुद्दा नहीं है, बल्कि कई बड़े प्रश्न हैं जिन पर चर्चा आवश्यक है। उन्होंने छात्रों की समस्याओं, रोजगार और बेरोजगारी भत्ते का मुद्दा उठाया। साथ ही उन्होंने किसानों की परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि कृषि से जुड़े मुद्दे लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार इन पर चर्चा करने से बच रही है।
रामचंद्र राव ने कांग्रेस सरकार पर चुनावी वादे पूरे न करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने छह गारंटी और 422 वादे किए थे, लेकिन सत्ता में आने के दो साल बाद भी सरकार एक भी गारंटी या वादा पूरा नहीं कर पाई है। उनका कहना है कि इन दो वर्षों के कामकाज पर विधानसभा में खुलकर चर्चा होनी चाहिए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कानून-व्यवस्था का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर जनता में चिंता है, लेकिन सरकार इन प्रश्नों पर विधानसभा में चर्चा नहीं कराना चाहती। उनका आरोप है कि सरकार केवल पानी और नदी के जल विवाद जैसे मुद्दों को सामने रखकर भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है।
रामचंद्र राव ने कहा कि भाजपा की स्पष्ट मांग है कि सरकार विधानसभा सत्र को कम से कम 30 दिनों तक चलाए। इससे न केवल विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा, बल्कि जनता से जुड़े असली मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा की जा सकेगी।