क्या आजकल शुद्ध कॉमेडी फिल्में बनना बहुत कम हो गया है? : राकेश बेदी

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क्या आजकल शुद्ध कॉमेडी फिल्में बनना बहुत कम हो गया है? : राकेश बेदी

सारांश

क्या शुद्ध कॉमेडी फिल्में अब सिर्फ एक सपना बन गई हैं? राकेश बेदी की राय जानें। उन्होंने बताया कि कैसे पुरानी फिल्में आज भी हंसाती हैं और क्यों नई फिल्में हास्य में कमी लाती हैं। इस विषय पर चर्चा करें।

Key Takeaways

  • कॉमेडी फिल्मों का महत्व भारतीय सिनेमा में हमेशा से रहा है।
  • शुद्ध कॉमेडी फिल्मों की संख्या में कमी आई है।
  • पुरानी फिल्में आज भी दर्शकों को हंसाती हैं।
  • टीवी शो में भी स्वाभाविक हास्य देखने को मिलता है।
  • इंडस्ट्री को हास्य पर आधारित फिल्में बनाने की आवश्यकता है।

मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सिनेमा में कॉमेडी हमेशा एक विशेष स्थान रखती आई है। दर्शक फिल्में देखकर हंसना और मजेदार किरदारों का आनंद लेना पसंद करते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि शुद्ध, पूरी तरह से कॉमेडी फिल्मों की संख्या में काफी कमी आई है। अधिकतर फिल्मों में कॉमिक सीन को सीमित किया जा रहा है।

इस विषय पर वरिष्ठ अभिनेता राकेश बेदी ने राष्ट्र प्रेस को दिए इंटरव्यू में अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आज की कॉमेडी फिल्मों और पुरानी क्लासिक फिल्मों के बीच क्या अंतर है।

राकेश बेदी ने पुरानी क्लासिक फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा, 'चुपके चुपके', 'चश्मे बद्दूर', 'चलती का नाम गाड़ी' और 'पड़ोसन' जैसी फिल्में आज भी याद की जाती हैं। इन फिल्मों में हर किरदार का व्यक्तित्व मजेदार था और हास्य पूरी तरह से स्वाभाविक था। यही कारण है कि ये फिल्में आज भी दर्शकों को हंसाती हैं और 'कल्ट क्लासिक' मानी जाती हैं।

उन्होंने कहा, "आजकल शुद्ध कॉमेडी फिल्में बहुत ही कम बनती हैं। फिल्मों में हास्य केवल छोटे हिस्सों या किसी एक पात्र तक सीमित रह जाता है। बड़े पर्दे पर दर्शकों को असली और स्वाभाविक हास्य देखने का अवसर बहुत कम मिलता है। इंडस्ट्री को ऐसी फिल्में बनाने की आवश्यकता है जो पूरी तरह से हास्य पर आधारित हों।"

राकेश ने टीवी की दुनिया में कुछ उदाहरण दिए। उन्होंने बताया, "कुछ सीरियल्स में अभी भी स्वाभाविक हास्य देखने को मिलता है। 'भाबी जी घर पर हैं' और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' जैसे शो अपने-अपने क्षेत्र में बहुत हिट हैं। इन शो में हास्य प्राकृतिक स्तर पर चलता है, इसलिए यह लंबे समय तक दर्शकों को जोड़ कर रखता है।

राकेश बेदी खुद भी कई लोकप्रिय फिल्मों और टीवी शो में यादगार कॉमिक रोल के लिए जाने जाते हैं, जैसे कि 'चश्मे बद्दूर', 'शराबी', 'चितचोर', 'खट्टा मीठा', और 'बातों बातों में'। उनकी ये भूमिकाएं आज भी दर्शकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

Point of View

हमें यह समझना होगा कि कॉमेडी फिल्मों की कमी क्यों हो रही है। राकेश बेदी की बातों से स्पष्ट होता है कि हमें ज्यादा शुद्ध हास्य पर आधारित फिल्में चाहिए। यह उद्योग के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

आजकल कॉमेडी फिल्मों में क्या कमी आ रही है?
शुद्ध कॉमेडी फिल्मों की संख्या में कमी आई है, और हास्य अक्सर सीमित हिस्सों तक ही रह जाता है।
राकेश बेदी ने पुरानी फिल्में क्यों याद की?
उन्होंने पुरानी फिल्में जैसे 'चुपके चुपके' और 'चश्मे बद्दूर' का उदाहरण दिया, जो आज भी दर्शकों को हंसाती हैं।
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