क्या त्रिपुरा में पुलिस अधिकारी पर हुआ क्रूर हमला?
सारांश
Key Takeaways
- पुलिस अधिकारी पर हमला हुआ है।
- सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
- मुख्यमंत्री ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
- ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम के आदेश जारी किए गए हैं।
- कानून व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।
अगरतला, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा के एक पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी (ओसी) पर क्रूर हमले के आरोप में पुलिस ने शनिवार को सात व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि दक्षिण त्रिपुरा जिले के बेलोनिया स्थित एक पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी शिबू रंजन डे पर क्लब के कई सदस्यों ने उस समय गंभीर हमला किया जब उन्होंने और उनकी टीम ने पूजा कार्यक्रम के दौरान तेज आवाज में बज रहे डीजे को बंद करवाने का प्रयास किया।
इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी डे को कथित तौर पर मंच से नीचे खींच लिया गया और क्लब के सदस्यों के एक समूह ने उन पर हमला किया, जिसे पूरे राज्य में व्यापक निंदा का सामना करना पड़ा।
पुलिस के अनुसार, यह घटना तब घटी जब प्रभारी अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस ने निर्धारित समय से कहीं ज्यादा तेज संगीत बजाने पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप किया।
क्लब के सदस्यों ने न केवल कानून प्रवर्तन अधिकारियों के कार्य में बाधा डाली, बल्कि प्रभारी अधिकारी पर भी बेरहमी से हमला किया, जिससे कार्यक्रम स्थल पर अफरा-तफरी मच गई।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, २०२३ की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और क्लब सचिव, पूजा समिति के अध्यक्ष एवं सचिव सहित सात क्लब सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। मामले की जांच जारी है।
अगरतला में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि पुलिस आरोपी क्लब सदस्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है।
माकपा और कांग्रेस समेत सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने विभिन्न जिलाधिकारियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर रात १० बजे के बाद तेज आवाज वाले ध्वनि यंत्रों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के कई आदेश जारी किए हैं।
एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि ध्वनि सीमा का उल्लंघन एक दंडनीय अपराध है जो ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है, जिसके लिए जुर्माना, उपकरण ज़ब्त और संभावित जेल की सजा हो सकती है।