क्या राज और उद्धव अपने बेटों के करियर को सेट करने के लिए साथ आए हैं?
सारांश
Key Takeaways
- उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन बीएमसी चुनाव को लेकर है।
- मनीषा कायंदे ने गठबंधन पर सवाल उठाए हैं।
- इसरो की सफलता का जश्न मनाया गया।
- बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर सरकार सक्रिय है।
- राजनीति में पारिवारिक हित महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
मुंबई, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बीएमसी चुनावों के संदर्भ में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एकजुटता दिखाई है। दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि उन्हें जनता का समर्थन और वोट प्राप्त होगा। संजय राउत ने इस गठबंधन को राम-लक्ष्मण के मिलाप के रूप में वर्णित किया है।
राउत के बयान पर शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह कौन सा राम-लक्ष्मण का मिलाप है, जहां राम ने लक्ष्मण को 20 वर्षों के लिए वनवास पर भेजा था। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मैं यह जानना चाहूंगी कि ये दोनों भाई अलग क्यों हुए। जनता भी जानना चाहती है कि आखिर कौन सी वजह थी कि वे अलग हो गए। कौन से मराठी लोग या कौन जिम्मेदार था? किसी राजनीतिक नेता ने किया क्योंकि, जहां तक लोगों को पता है, ये दोनों बालासाहेब के समय में ही अलग हुए। राउत का यह कहना कि राम-लक्ष्मण का मिलाप हुआ है, इसे समझने में मुझे कठिनाई है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अपने बेटों के करियर को सेट करने के लिए एक साथ आए हैं; मराठी लोगों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। मराठी लोग समझते हैं कि इन दोनों के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, वे केवल भावनात्मक कार्ड खेल रहे हैं, और इसे पारिवारिक नाटक के रूप में देखना चाहिए।
इसरो के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण दिन है। इसरो लगातार सफलता के नए मुकाम हासिल कर रहा है, और इस क्षेत्र में भारत का नाम बढ़ रहा है। मैं पीएम मोदी और इसरो की टीम को बधाई देती हूं।
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने दूसरे देशों में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा की दिशा में कदम उठाए हैं। मुझे विश्वास है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कोई समाधान निकालेंगे और बांग्लादेश में हो रहे अन्याय को रोकेंगे।
पीएम मोदी पर कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण और शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के बयानों पर शिवसेना नेता ने कहा कि यह सवाल उन्हें पूछना चाहिए जिन्होंने तारीख दी थी। उन्हें बताना चाहिए। अप्रैल महीना भी बीत चुका है, इस सवाल का जवाब वे बेहतर दे सकते हैं।