क्या उद्धव ठाकरे की रैली सिर्फ रोने-धोने का कार्यक्रम है?

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क्या उद्धव ठाकरे की रैली सिर्फ रोने-धोने का कार्यक्रम है?

सारांश

दशहरा के मौके पर भाजपा नेता राम कदम ने उद्धव ठाकरे की रैली पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इसे 'रोने-धोने का कार्यक्रम' कहा और किसान मुद्दे पर भी सवाल उठाए। जानिए इस रैली के पीछे की सच्चाई और राजनीति का खेल।

Key Takeaways

  • उद्धव ठाकरे की रैली केवल पुराने मुद्दों पर आधारित है।
  • राजनीतिक नाटक की बजाय बाढ़ पीड़ितों की मदद पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • कांग्रेस की आलोचना करने का समय है, उन्हें संघ का इतिहास बच्चों को पढ़ाना चाहिए।

मुंबई, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दशहरा के मौके पर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे की रैली पर भाजपा नेता राम कदम ने तीखी आलोचना की है। समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने इस रैली को 'रोने-धोने का कार्यक्रम' कहा और कहा कि उद्धव ठाकरे के पास कोई नया मुद्दा नहीं है।

उन्होंने कहा, "इस कार्यक्रम में केवल पुराने शब्दों जैसे 'गद्दार' और 'खंजर' का ही इस्तेमाल होगा। मुंबई और महाराष्ट्र को तोड़ने की बातें होंगी, लेकिन आज बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों ने किसानों को क्या दिया? इसके साथ ही, इस रैली में प्रधानमंत्री और एकनाथ शिंदे पर ही टिप्पणी होगी।"

राम कदम ने उद्धव के किसानों के मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए कहा, "जब वह मुख्यमंत्री थे, तब किसानों से मिले लेकिन रेड कार्पेट बिछाया ताकि मिट्टी उनके पैरों पर न लगे। हाथ भी नहीं मिलाया, क्योंकि 'हाइजीन' का बहाना था। ऐसे व्यक्ति हमें क्या सिखाएंगे?"

उन्होंने रैली को विपक्ष की हताशा का प्रतीक बताया और कहा कि यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए फंड को पुनर्निर्देशित करने का समय है, न कि राजनीतिक नाटक का। भाजपा ने पहले ही मांग की है कि रैली रद्द कर फंड बाढ़ पीड़ितों के लिए इस्तेमाल किया जाए।

राम कदम ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की मां के आरएसएस कार्यक्रम में आमंत्रण पर उठे विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "सीजेआई की मां का संघ कार्यक्रम में आना स्वाभाविक है। इतिहास सब जानता है कि उनके पति, स्वर्गीय आरएस गवई (सीजेआई के पिता), भी संघ के कार्यक्रमों में जाते थे। माता जी भी जाना चाहती थीं, लेकिन विपक्ष की टिप्पणियों से व्यथित होकर रुक गईं।"

राम कदम ने विपक्ष की आलोचना को 'सस्ती राजनीति' बताते हुए कहा, "विपक्ष को समझना चाहिए कि राजनीति की सीमा कहां है।"

आरएसएस को लेकर राम कदम ने कहा, "संघ एक ऐसा मंच है, जो राष्ट्र को पहले रखने की सीख देता है। आपदा, विपत्ति या त्रासदी में सबसे पहले साहसी फौज पहुंचती है, उसके साथ संघ के स्वयंसेवक। वे किरदार निभाते हैं, लेकिन परदे पर नहीं आते। त्यागपूर्ण जीवन जीते हैं।"

उन्होंने उत्तर-पूर्व के नक्सल प्रभावित इलाकों का उदाहरण दिया, जहां संघ के सेवक जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।

वहीं, कदम ने विपक्ष से अपील की कि केवल खुन्नस के लिए विरोध न करें। एक बार संघ की शाखा में जाकर देखें। बिना अध्ययन के विरोध केवल खुन्नस के लिए होता है।

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राम कदम ने कहा, "संघ परिवार है जो देश हित, समाज हित और एकात्मता की बात करता है। अगर संघ का इतिहास बच्चों को पढ़ाया जाए, तो वे अनुशासित और राष्ट्रप्रेमी बनेंगे। कांग्रेस को इससे आपत्ति क्यों? क्या वे चाहते हैं कि कोयला घोटाले का इतिहास पढ़ाया जाए? कम से कम सोचें, ये बच्चे देश की अगली पीढ़ी हैं जो नेतृत्व करेंगे।"

उधर, एशिया कप 2025 पर टिप्पणी करते हुए राम कदम ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "इतनी हार के बाद पाकिस्तान का घमंड चकनाचूर हो जाना चाहिए। लेकिन, घमंड दिखा रहा है। पूरी दुनिया जान गई कि पाकिस्तान ट्रॉफी चोर है। उन्हें 'ट्रॉफी चोर' नाम दे दिया जाए तो गलत नहीं।"

भारत की जीत पर उन्होंने कहा, "हमारी टीम ने ट्रॉफी जीती, जो भारतीयों के दिलों में है। पाकिस्तान का घमंड नहीं टिकेगा। भारत, हमारी टीम और सरकार घमंड का जवाब देना जानती है। एशिया कप फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया, लेकिन ट्रॉफी विवाद के कारण भारतीय टीम ने पुरस्कार समारोह में भाग नहीं लिया।"

पी चिदंबरम पर राम कदम ने कहा, "चिदंबरम देर से सच बोल गए। पुराणों में लिखा है कि सच दबाया नहीं जा सकता, कभी न कभी बाहर आता है। चिदंबरम अनुभवी नेता हैं, कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने सोच-समझकर जिम्मेदारी से बोला। लेकिन कांग्रेस को आपत्ति क्यों? वे चाहते हैं कि सच न बोला जाए।"

Point of View

NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

राम कदम ने उद्धव ठाकरे की रैली पर क्या कहा?
राम कदम ने उद्धव ठाकरे की रैली को 'रोने-धोने का कार्यक्रम' बताया और कहा कि इसमें कोई नया मुद्दा नहीं है।
उद्धव ठाकरे की रैली का मुख्य मुद्दा क्या है?
रैली में पुराने मुद्दों की चर्चा होगी और किसानों के मुद्दे पर भी सवाल उठाए जाएंगे।
क्या राम कदम ने कांग्रेस पर भी टिप्पणी की?
हाँ, उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें संघ का इतिहास बच्चों को पढ़ाने से आपत्ति क्यों है।