क्या उमर खालिद ने अपनी बहन की शादी के लिए अंतरिम जमानत मांगी है? 11 दिसंबर को होगी सुनवाई
सारांश
Key Takeaways
- उमर खालिद ने बहन की शादी के लिए अंतरिम जमानत मांगी है।
- अदालत ने 11 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।
- दिल्ली दंगे के मामलों में आरोप गंभीर हैं।
- खालिद की जमानत याचिकाएं पहले भी खारिज हो चुकी हैं।
- इस मामले में समाज के विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली दंगा मामले में कैद आरोपी और जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की है। खालिद ने अपनी बहन के निकाह में शामिल होने के लिए 14 से 29 दिसंबर तक की अंतरिम जमानत की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि 27 दिसंबर को उनकी बहन का निकाह है और परिवार के इस महत्वपूर्ण समारोह में उनकी उपस्थिति आवश्यक है। अदालत ने उनकी इस अर्जी को स्वीकार कर 11 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।
सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने फरवरी 2020 में दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश की थी। इस मामले में यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया गया है। खालिद के साथ शरजील इमाम और कई अन्य लोगों पर भी इसी मामले में साजिशकर्ता होने का आरोप है।
दिल्ली दंगों में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि लगभग 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह हिंसा सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान शुरू हुई थी, जहां कई स्थानों पर हालात बेकाबू हो गए थे।
पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (जो दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे हैं) ने कहा था कि 2020 की हिंसा कोई अचानक हुई सांप्रदायिक झड़प नहीं थी, बल्कि यह राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने के लिए सुविचारित, सुनियोजित और योजनाबद्ध षड्यंत्र था।
उन्होंने कहा था, "हमारे सामने यह कहानी रखी गई कि एक विरोध प्रदर्शन हुआ और उससे दंगे भड़क गए। मैं इस मिथक को तोड़ना चाहता हूं। यह स्वतःस्फूर्त दंगा नहीं था, बल्कि पहले से रचा गया था, जो सबूतों से सामने आएगा।"
एसजी मेहता ने दावा किया था कि जुटाए गए सबूत (जैसे भाषण और व्हाट्सएप चैट) यह दर्शाते हैं कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की स्पष्ट कोशिश की गई थी।
उन्होंने विशेष रूप से शरजील इमाम के कथित भाषण का जिक्र करते हुए कहा था, "इमाम कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि हर उस शहर में चक्का जाम हो जहां मुसलमान रहते हैं।"
खालिद की जमानत याचिकाएं इससे पहले भी कई बार अदालत द्वारा खारिज की जा चुकी हैं। अब खालिद की बहन के निकाह में शामिल होने के लिए दायर ताजा अर्जी पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। 11 दिसंबर को कोर्ट यह तय करेगा कि उन्हें इन 15 दिनों की अंतरिम जमानत मिल पाएगी या नहीं।