क्या उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने साहिबजादों, माता गुजरी जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित की?
सारांश
Key Takeaways
- उपराज्यपाल ने साहिबजादों और सिख गुरुओं को श्रद्धांजलि दी।
- सिख परंपरा की महानता और एकता की आवश्यकता पर बल दिया।
- सिख समुदाय की मांगों को सुनने का आश्वासन दिया।
श्रीनगर, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने साहिबजादों, माता गुजरी जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उपराज्यपाल ने कहा, “हम साहिबजादों की अद्वितीय वीरता, बलिदान और साहस, तथा माता गुजरी जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रतिबद्धता को स्मरण करते हैं। उनका जीवन और शिक्षाएं सभी नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।”
उपराज्यपाल ये विचार ऑल जम्मू कश्मीर सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा गुरुद्वारा डिगियाना आश्रम में आयोजित विशेष शहीदी समागम ‘सफर-ए-शहादत’ को संबोधित करते हुए व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “हमारे सिख गुरुओं का सर्वोच्च बलिदान हम सभी को राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने की प्रेरणा देता है। हमें एक ऐसे समृद्ध देश के निर्माण का ईमानदार प्रयास करना चाहिए, जो विविधता में एकजुट और सशक्त हो।”
उपराज्यपाल ने कहा कि भक्ति, पराक्रम और गौरव से ओतप्रोत सिख परंपरा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की अमूल्य भावना का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “सिख गुरुओं द्वारा दिखाया गया धर्म का मार्ग आधुनिक भारत के समावेशी विकास की आधारशिला है। उनकी विरासत राष्ट्र निर्माण की अग्रिम पंक्ति में कार्य करने वालों को निरंतर सशक्त बनाती है।”
उपराज्यपाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सिख गुरुओं की विरासत के सम्मान, संरक्षण और संवर्धन के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाया।
उन्होंने कहा कि श्री हरमंदिर साहिब को एफसीआरए की अनुमति मिलने से दुनियाभर की संगत को पवित्र स्थल की सेवा में भागीदारी का अवसर मिला। इसके अलावा श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर, जलियांवाला बाग स्मारक के पुनरुद्धार और श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर शैक्षणिक शोध को बढ़ावा देने जैसे अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए गए, जिससे गुरुओं का सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश भारत के भविष्य के लिए मार्गदर्शक बना रहेगा।
उपराज्यपाल ने राष्ट्र निर्माण में सिख समुदाय की ऐतिहासिक भूमिका और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के उनके अथक प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि वे पूज्य सिख गुरुओं के बलिदान का सम्मान करते हुए एकता और प्रगति पर आधारित समाज के निर्माण में योगदान दें।
उन्होंने कहा, “देश में एक नई ऊर्जा और गतिशीलता आई है। आइए आज संकल्प लें कि हम एकजुट रहकर अपने सपनों के विकसित भारत के निर्माण के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे।”
उपराज्यपाल ने बाबा मोती राम मेहरा और उनके परिवार के बलिदान को भी याद किया और इसे मानवीय भावना और निष्ठा का अद्भुत उदाहरण बताया।
ऑल जम्मू कश्मीर सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने सिख समुदाय की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करने के लिए उपराज्यपाल का आभार व्यक्त किया।
कमेटी के अध्यक्ष एस. अजित सिंह ने ‘वीर बाल दिवस’ का नाम बदलकर ‘साहिबजादे शहादत दिवस’ करने की मांग रखी। उपराज्यपाल ने आश्वासन दिया कि मांगों से संबंधित ज्ञापन भारत सरकार को भेजा जाएगा।
इस अवसर पर उपराज्यपाल ने केंद्र शासित प्रदेश में आनंद विवाह अधिनियम के तहत विवाह पंजीकरण कराने वाले एक नवविवाहित सिख जोड़े को भी सम्मानित किया।