क्या उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने पुदुचेरी में आवास परियोजना का उद्घाटन किया?
सारांश
Key Takeaways
- उपराष्ट्रपति का पुदुचेरी दौरा भारत सरकार की शहरी विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- 216 नए घरों का निर्माण स्थानीय समुदाय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
- स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संरक्षित करने का महत्व।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 'सभी के लिए आवास' का लक्ष्य।
- शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी का महत्व।
पुदुचेरी, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने सोमवार को पुदुचेरी में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण आवासीय परियोजना का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, उन्होंने 216 नए निर्मित घरों की चाबियां लाभार्थियों को सौंपीं और भारत सरकार की समावेशी एवं स्थायी शहरी विकास की प्रतिबद्धता को दोहराया।
यह कार्यक्रम उपराष्ट्रपति के पद संभालने के बाद उनकी पुदुचेरी की पहली आधिकारिक यात्रा का हिस्सा था। एक नागरिक अभिनंदन समारोह में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति ने पुदुचेरी को अनूठी सभ्यतागत, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर वाली भूमि बताया।
उन्होंने प्राचीन अरिकामेडु बंदरगाह का उल्लेख करते हुए कहा कि पुदुचेरी सदैव विश्व के लिए खुला एवं जीवंत सांस्कृतिक केंद्र रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में, उन्होंने कीझूर जनमत संग्रह को याद किया, जहां भारी बहुमत ने भारत में विलय का समर्थन किया था। उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संरक्षित करने और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।
आवास परियोजना के शीघ्र पूरा होने पर संतोष व्यक्त करते हुए राधाकृष्णन ने कहा, "घर केवल चार दीवारें नहीं, बल्कि परिवारों के लिए सम्मान, सुरक्षा और बेहतर भविष्य का आधार है।"
उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 'सभी के लिए आवास' मिशन के लिए पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने पुदुचेरी सरकार के प्रभावी कार्यान्वयन की भी प्रशंसा की। कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने कुमारगुरु पल्लम साइट पर घरों का दौरा किया और लाभार्थियों से बातचीत की, जिन्होंने परियोजना की शीघ्रता के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और पीएम-किसान सम्मान निधि जैसी कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) से आई पारदर्शिता और प्रभावी पहुंच की सराहना की।
इसके बाद, राधाकृष्णन ने पेटिट सेमिनार सीबीएसई स्कूल के सीनियर सेकेंडरी ब्लॉक का उद्घाटन किया। 181 वर्ष पुरानी इस संस्था की समग्र शिक्षा और मूल्य-आधारित अध्यापन की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा एकमात्र अविनाशी संपत्ति है। छात्रों से ज्ञान को ईमानदारी, गहराई और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ ग्रहण करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "विकसित भारत 2047 केवल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि ज्ञान, चरित्र और सेवा के मेल से साकार होगा।" राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, जिसने रटने की बजाय आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया है।
कार्यक्रम के अंत में, उपराष्ट्रपति ने भारतीयार मेमोरियल में महाकवि सुब्रमण्यम भारतीयार की प्रतिमा का अनावरण किया और महान कवि को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि पुदुचेरी में भारतीयार का दशक आधुनिक तमिल साहित्य का सुनहरा काल था, जिसमें निडर शब्दों, क्रांतिकारी विचारों और देशप्रेम ने राष्ट्र को जगाया।