क्या उत्तर प्रदेश में राजकोषीय बचत से अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- अन्नपूर्णा भवन योजना से राशन वितरण में पारदर्शिता आई है।
- सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
- राजकोषीय बचत से भवनों का निर्माण तेजी से हो रहा है।
- स्थानीय निकायों की भागीदारी को महत्व दिया जा रहा है।
- भवन निर्माण में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
लखनऊ, ८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी, सशक्त और जनोन्मुखी बनाने के लिए योगी सरकार द्वारा संचालित 'अन्नपूर्णा भवन योजना' अब हर गाँव और शहर में अपनी पहचान बना रही है। ग्राम सभाओं और नगर निकायों की सहायता से स्थापित की जा रही ये मॉडल उचित दर दुकानें न केवल सरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहना रही हैं, बल्कि राशन कार्डधारकों को बेहतर सेवा, पारदर्शी वितरण और सम्मानजनक वातावरण भी प्रदान कर रही हैं।
योगी सरकार ने राजकोषीय बचत के माध्यम से अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है ताकि मॉडल उचित दर दुकानों/अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण तेज़ी से हो सके। अब तक 3,534 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है और लगभग 2,000 भवनों का कार्य निर्माणाधीन है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खाद्यान्न वितरण प्रणाली अब पुराने ढर्रे से बाहर निकलकर तकनीकी और भौतिक दृष्टि से मजबूत हो रही है। यह योजना न केवल गरीबों को सम्मानजनक सेवा दे रही है, बल्कि स्थानीय निकायों की भूमिका को भी सशक्त कर रही है। ‘अन्नपूर्णा भवन’ अब एक प्रशासनिक नवाचार नहीं, बल्कि जनहित में उठाया गया एक ठोस कदम है।
प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में प्रत्येक जनपद में 75 अन्नपूर्णा भवन मॉडल के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। अब तक 3,534 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण हो चुका है और लगभग 2,000 भवनों का कार्य जारी है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करने और राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए राजकोषीय बचत से अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण का निर्णय लिया गया है।
मनरेगा के अलावा, राज्य वित्त आयोग, सांसद निधि, विधायक निधि, पूर्वांचल विकास निधि, बुंदेलखंड विकास निधि या अन्य योजनाओं के तहत अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण किया जा सकेगा। जहां धनराशि उपलब्ध नहीं होगी, वहां खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा बचत से धनराशि की व्यवस्था की जाएगी।
इस प्रकार प्रति जनपद 75-100 अन्नपूर्णा भवनों का निर्माण प्रति वर्ष किया जा सकेगा। इन भवनों के अनुरक्षण आदि की व्यवस्था भी की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लगाई गई है।
अन्नपूर्णा भवनों के निर्माण में विभिन्न निधियों से धनराशि का प्रावधान किया जाएगा। भूमि चयन, भवन संचालन, किराया आदि के लिए एक समान मार्गदर्शी सिद्धांत अपनाया जा रहा है। एक अन्नपूर्णा भवन का कुल क्षेत्रफल लगभग 484 वर्गफीट होगा, जिसमें एक बड़ा कक्ष और अन्य कार्यों के लिए स्थान होगा।
लाभार्थियों के लिए एक प्रतीक्षा हॉल भी होगा। एक क्लस्टर में 2-5 दुकानों का निर्माण किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में जहां एकल दुकानों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है, वहां क्लस्टर अन्नपूर्णा भवन बनाए जा रहे हैं।
भवन निर्माण की जिम्मेदारी स्थानीय कार्यदायी संस्थाओं को दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिकता ग्राम पंचायतों को और शहरी क्षेत्रों में विकास प्राधिकरण को दी गई है। निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार का सेन्टेज चार्ज अनुमन्य नहीं है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो जाती है।
अन्नपूर्णा भवन के लिए भूमि चयन में सरकारी, पंचायत, सहकारी संस्थाओं या दान में प्राप्त भूमि को प्राथमिकता दी जाती है। चयन प्रक्रिया में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाता है।
योगी सरकार की प्राथमिकता है कि पहले वहां भवन बनाए जाएं, जहां वर्तमान उचित दर दुकानें संकरी गलियों में हों, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हों या आपदा से प्रभावित हों। जनपदवार वरीयता सूची के अनुसार कार्य किया जा रहा है।