क्या उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का बड़ा गिरोह पकड़ा गया? छांगुर बाबा के साथ तीन अन्य की गिरफ्तारी

सारांश
Key Takeaways
- धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है।
- गिरोह ने युवाओं और नाबालिगों को निशाना बनाया।
- 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग का उपयोग किया गया।
- गिरोह के सदस्यों ने धमकी और प्रलोभन का सहारा लिया।
- जांच जारी है और और नामों का खुलासा हो सकता है।
लखनऊ, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश एटीएस ने एक धर्मांतरण के संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन सहित तीन अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
गिरोह पर आरोप है कि उसने विदेशी फंडिंग के जरिए, करोड़ों की संपत्ति खरीदने और प्रेमजाल व प्रलोभन के माध्यम से सैकड़ों लोगों का अवैध धर्मांतरण कराया। उत्तर प्रदेश के एडीजी एलओ अमिताभ यश ने बताया कि छांगुर बाबा खुद को हजरत जलालुद्दीन पीर बाबा के रूप में प्रस्तुत करता था। जानकारी मिली थी कि वह बलरामपुर के उतरौला में धर्मांतरण का एक बड़ा नेटवर्क चला रहा था, जिसकी जांच एसटीएफ ने की।
जांच में पता चला है कि गिरोह के एजेंट युवाओं को प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण कराते थे। इसके अलावा, नाबालिगों का भी धर्मांतरण किया गया। इनकी 40 बैंक खातों में विदेशों से 100 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई, जिसका उपयोग धर्मांतरण के लिए किया गया।
उन्होंने बताया कि सभी जानकारियों के साथ एक मामला एसटीएफ ने दर्ज कराया है, जिसकी जांच एटीएस द्वारा की जा रही है।
पहले भी आजमगढ़ के देवगांव थाने में इस गिरोह के खिलाफ धर्मांतरण से संबंधित मामला दर्ज है। एटीएस अब गिरोह के विदेशी कनेक्शन, फंडिंग स्रोत और नेटवर्क की गहन जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और नामों का खुलासा हो सकता है। बलरामपुर जनपद के ग्राम मधपुर से उठे इस प्रकरण में बाबा और उसके साथियों ने मुंबई निवासी नवीन रोहरा और उनके परिवार का इस्लाम में धर्मांतरण कर उनके नाम क्रमशः जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा रखे। यही नहीं, लखनऊ की युवती गुंजा गुप्ता को भी प्रेमजाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराया गया और उसका नाम अलीना अंसारी रखा गया।
जांच में सामने आया है कि धर्मांतरण के लिए आर्थिक 'रेट' तय थी, उच्च जातियों की लड़कियों पर 15-16 लाख तक, पिछड़ी जातियों पर 10-12 लाख और अन्य वर्गों के लिए 8-10 लाख तक की धनराशि मिलती थी। गिरोह के सदस्यों ने करीब 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की और 40 से अधिक बैंक खातों के जरिए 100 करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन किया।
एटीएस के अनुसार, छांगुर बाबा गिरोह गरीबों और असहायों को प्रलोभन और धमकी देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर करता था। बात न मानने पर उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराने की रणनीति अपनाई जाती थी।