क्या उत्तर प्रदेश में छह मार्च को संशोधन के साथ मतदाता सूची प्रकाशित होगी?
सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची का आलेख्य प्रकाशन 6 जनवरी 2026 को होगा।
- 6 जनवरी से 6 फरवरी 2026 तक दावे और आपत्तियाँ प्राप्त की जाएंगी।
- अंतिम प्रकाशन 6 मार्च 2026 को किया जाएगा।
- नए मतदाताओं के नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी।
- निर्वाचन आयोग द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लखनऊ, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची को त्रुटिरहित, पारदर्शी और अद्यतन बनाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम की तिथियों में संशोधन किया है। इस निर्णय से मतदाता सूची में नाम जोड़ने, सुधार करने और आपत्तियां दर्ज कराने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
संशोधित कार्यक्रम के अनुसार, मतदाता सूची का आलेख्य प्रकाशन अब 6 जनवरी 2026 को होगा, जबकि अंतिम प्रकाशन 6 मार्च 2026 को किया जाएगा। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अर्हता तिथि एक जनवरी 2026 के आधार पर चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण की समय-सारिणी में यह बदलाव किया गया है। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना और इसे पूरी तरह त्रुटिरहित बनाना है, ताकि आगामी चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की विसंगति न रहे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, संशोधित कार्यक्रम के तहत 6 जनवरी 2026 को मतदाता सूची का आलेख्य प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद 6 जनवरी से 6 फरवरी 2026 तक दावे और आपत्तियां प्राप्त की जाएंगी। इस अवधि के दौरान नए मतदाताओं के नाम जोड़ने, मृत अथवा स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने और नाम, पता या अन्य विवरणों में सुधार के लिए आवेदन किए जा सकेंगे। इसके साथ ही 6 जनवरी से 27 फरवरी 2026 तक नोटिस चरण, गणना प्रपत्रों पर निर्णय तथा प्राप्त दावों एवं आपत्तियों का विधिवत निस्तारण किया जाएगा।
इस दौरान बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी सभी आवेदनों की जांच कर निष्पक्ष निर्णय सुनिश्चित करेंगे। समस्त प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद उत्तर प्रदेश की अद्यतन और शुद्ध मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 6 मार्च 2026 को किया जाएगा।
निर्वाचन विभाग ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे निर्धारित समय-सीमा के भीतर मतदाता सूची में अपना नाम अवश्य जांच लें और यदि किसी प्रकार की त्रुटि हो तो समय रहते दावा या आपत्ति दर्ज कराएं। निर्वाचन आयोग के इस संशोधित कार्यक्रम से मतदाता सूची की गुणवत्ता में सुधार होगा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक मजबूत आधार मिलेगा।