क्या उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड के बाद वायुसेना राहत सामग्री लेकर पहुँची?

सारांश
Key Takeaways
- उत्तराखंड में बाढ़ ने गंभीर स्थिति उत्पन्न की है।
- भारतीय वायुसेना ने राहत कार्यों में तेजी से कदम उठाए हैं।
- भूस्खलन के कारण कई मार्ग बाधित हुए हैं।
- राहत सामग्री और बचावकर्मियों को त्वरित रूप से भेजा जा रहा है।
- इस अभियान में मौसम भी एक चुनौती बना हुआ है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के धराली-हर्षिल क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ और उसके साथ आए मलबे (फ्लैश फ्लड) ने घाटी को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है। भूस्खलन ने यहां भारी नुकसान पहुँचाया है और कई महत्वपूर्ण मार्ग टूट जाने के कारण यह इलाका अन्य क्षेत्रों से कट गया है।
इस आपदा के पश्चात, भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने त्वरित कार्यवाही करते हुए राहत और बचाव कार्यों की शुरुआत की है। वायुसेना के एयरबेस और विमान हाई अलर्ट पर हैं। बरेली और आगरा से वायुसेना के विमान और हेलीकॉप्टर राहत कार्य में जुट गए हैं। वायुसेना के अनुसार, बरेली एयरबेस पर तैनात एमआई-17 और एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टरों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इसके अतिरिक्त, आगरा से रवाना हुए वायुसेना के एएन-32 और सी-295 सैन्य परिवहन विमानों ने देहरादून में लैंडिंग की है, जिससे राहत सामग्री और बचावकर्मियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचाया जा सके। बीती रात ही आगरा और बरेली के वायुसेना स्टेशनों को सक्रिय किया गया, और राहत सामग्री की लोडिंग तेजी से की गई। भारतीय वायुसेना और भारतीय थल सेना की संयुक्त बचाव टीमों को मिशन के लिए तैयार किया गया है।
राहत और बचाव कार्यों के लिए आवश्यक उपकरण, खाद्य सामग्री, चिकित्सा सहायता और संचार साधनों की व्यवस्था की गई है। मौसम ने भी इस अभियान में एक बड़ी चुनौती पेश की, फिर भी वायुसेना के विमान ने राहत और बचाव के इस मिशन में अपनी भूमिका निभाई। वायुसेना ने बताया कि सुबह के समय घना कोहरा और मूसलधार बारिश के कारण उड़ानों में बाधा उत्पन्न हो रही थी, लेकिन जैसे ही मौसम में थोड़ा सुधार आया, वायुसेना ने उड़ानें शुरू कर दीं। यह पूरी तरह से एक संयुक्त नागरिक-सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य प्रभावित व्यक्तियों को समय पर सहायता पहुँचाना है।
हेलीकॉप्टरों के माध्यम से न केवल राहत सामग्री पहुँचाई जा रही है, बल्कि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाने में भी मदद मिल सकेगी। भारतीय वायुसेना ने स्पष्ट किया है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को सुरक्षित नहीं किया जाता और हालात सामान्य नहीं होते, तब तक राहत अभियान जारी रहेगा। वायुसेना का कहना है कि वह पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है कि हरसंभव सहायता और सहयोग प्रभावित नागरिकों को प्रदान किया जाए।
गौरतलब है कि मंगलवार, अगस्त की दोपहर लगभग 1 बजकर 45 मिनट पर धराली गांव के पास भूस्खलन की घटना हुई। यह स्थान हर्षिल स्थित भारतीय सेना के शिविर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। इस घटना में सेना के कुछ जवान भी लापता हैं। सेना उनकी तलाश करने में जुटी हुई है और टूट चुके मार्गों को जल्द बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।