क्या उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रधान प्रत्याशी के पक्ष में निर्णय सुनाया है?

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क्या उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रधान प्रत्याशी के पक्ष में निर्णय सुनाया है?

सारांश

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने ग्राम प्रधान पद की प्रत्याशी कुसुम कोठियाल के नामांकन रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है। यह फैसला चुनाव आयोग के नियमों पर सवाल उठाता है और ग्रामीण वास्तविकताओं को ध्यान में रखता है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • कुसुम कोठियाल के नामांकन पर रोक लगाई गई है।
  • हाई कोर्ट ने ग्रामीण परिस्थितियों को ध्यान में रखा।
  • चुनाव आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें चुनाव चिन्ह जारी करे।

नैनीताल, १७ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने टिहरी जिले की ग्राम प्रधान पद की प्रत्याशी कुसुम कोठियाल को महत्वपूर्ण राहत देते हुए उनके नामांकन रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि उन्हें शीघ्र चुनाव चिन्ह जारी किया जाए ताकि वे चुनाव में भाग ले सकें।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। याचिका में कुसुम कोठियाल ने बताया कि वह ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उनका नामांकन इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि उनके घर में शौचालय नहीं है।

चुनाव आयोग की ओर से जवाब में कहा गया कि नामांकन पत्र की जांच में यह पाया गया कि शपथ पत्र में शौचालय को लेकर सही जानकारी नहीं दी गई थी। इस पर समिति ने स्क्रूटनी के बाद उनका नामांकन रद्द कर दिया। हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि यह निर्णय नियमों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय अक्सर घर के बाहर बनाए जाते हैं और यह आवश्यक नहीं कि वह घर के अंदर ही हों। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका शौचालय घर से लगभग १५० मीटर की दूरी पर स्थित है और वह पूरी तरह से व्यक्तिगत है, सार्वजनिक नहीं।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि केवल शौचालय की स्थिति के आधार पर किसी का नामांकन रद्द करना तर्कसंगत नहीं है, खासकर तब जब शौचालय व्यक्तिगत हो और ग्रामीण परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाए।

यह फैसला राज्य चुनाव आयोग के उन नियमों पर भी सवाल उठाता है, जो अक्सर ग्रामीण वास्तविकताओं से मेल नहीं खाते। कोर्ट के निर्देश के बाद अब कुसुम कोठियाल ग्राम प्रधान पद की वैध प्रत्याशी मानी जाएंगी और उन्हें चुनाव चिह्न भी आवंटित किया जाएगा।

Point of View

बल्कि यह ग्रामीण चुनावों में प्रचलित नियमों और उनकी व्यवहार्यता पर भी गहरा सवाल उठाता है। क्या चुनाव आयोग को ग्रामीण वास्तविकताओं का ध्यान रखना चाहिए? यह सवाल सभी के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
17/07/2025

Frequently Asked Questions

कुसुम कोठियाल का नामांकन क्यों रद्द किया गया था?
उनका नामांकन इस आधार पर रद्द किया गया कि उनके घर में शौचालय नहीं है।
हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
हाई कोर्ट ने कुसुम कोठियाल के नामांकन रद्द करने के आदेश पर रोक लगाई है।
क्या चुनाव आयोग को कुसुम कोठियाल को चुनाव चिन्ह जारी करना होगा?
हाँ, कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए हैं कि उन्हें शीघ्र चुनाव चिन्ह जारी किया जाए।