क्या उत्तरकाशी हादसा राहत कार्यों में योगदान दे रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- उत्तरकाशी में भूस्खलन के बाद राहत कार्य तेज़ी से चल रहे हैं।
- लापता व्यक्तियों की खोज के लिए आधुनिक उपकरण का उपयोग किया जा रहा है।
- ड्रोन के माध्यम से स्थिति का निरीक्षण किया जा रहा है।
- राहत एजेंसियां मार्ग को खोलने के प्रयास कर रही हैं।
- सेना और पुलिस फंसे हुए लोगों को सहायता प्रदान कर रहे हैं।
देहरादून, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हुए दुर्घटना के उपरांत, उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। मलबे में दबे हुए ध्वस्त भवनों और लापता व्यक्तियों की खोज हेतु सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
उत्तराखंड पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "धराली, उत्तरकाशी में उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें लगातार मलबे में दबे भवनों की खोज कर रही हैं। लापता व्यक्तियों की खोज के लिए आधुनिक उपकरणों और डॉग स्क्वाड की मदद ली जा रही है। ड्रोन के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया जा रहा है।"
राज्य पुलिस ने एक अन्य पोस्ट में जानकारी दी कि धराली मार्ग पर जमा मलबा बीआरओ द्वारा हटाया जा रहा है, ताकि आपदा प्रभावित क्षेत्र तक पहुंच और राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके। राहत एजेंसियां लगातार मार्ग को पूरी तरह खोलने के लिए प्रयासरत हैं।
जानकारी के अनुसार, शनिवार शाम 4 बजे तक 286 लोगों को आईटीबीपी मातली, 153 लोगों को हवाई पट्टी चिन्यालीसौड़, जबकि 10 लोगों को देहरादून में रेस्क्यू किया गया। वहीं, सुबह 8 बजे तक 52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया गया था।
धराली में 5 अगस्त को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन के बाद लगभग 50 नागरिक, आठ जवान और एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) अब भी लापता हैं। बादल फटने के बाद, यह क्षेत्र अत्यधिक दुर्गम बन गया है, और बरतवारी, लिंचीगढ़, गंगरानी, हर्षिल और धराली में प्रमुख सड़क संपर्क बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान फंसे हुए पर्यटकों को भोजन, चिकित्सा सहायता और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।