क्या विकसित भारत के निर्माण में उनके राष्ट्रवादी विचार जरूरी हैं? पीएम मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय को दी श्रद्धांजलि

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क्या विकसित भारत के निर्माण में उनके राष्ट्रवादी विचार जरूरी हैं? पीएम मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय को दी श्रद्धांजलि

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने उनके राष्ट्रवादी विचारों और अंत्योदय के सिद्धांतों को विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक बताया। जानें इस महत्वपूर्ण अवसर पर क्या कहा मोदी ने और अन्य नेताओं ने किस प्रकार उन्हें याद किया।

Key Takeaways

  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
  • उनका अंत्योदय का सिद्धांत समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है।
  • एकात्म मानववाद से हमें समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने की प्रेरणा मिलती है।
  • उनकी सोच ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी।
  • उपाध्याय का जीवन सेवा और समर्पण का आदर्श उदाहरण है।

नई दिल्ली, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भारत का महान सपूत बताते हुए कहा कि उनके राष्ट्रवादी विचार और अंत्योदय के सिद्धांत विकसित भारत के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

पीएम मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "भारत माता के महान सपूत और एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर कोटिश: नमन। देश को समृद्धि की राह दिखाने वाले उनके राष्ट्रवादी विचार और अंत्योदय के सिद्धांत विकसित भारत के निर्माण में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होंगे।"

प्रधानमंत्री के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा, "भारतीय जनसंघ के संस्थापक व ‘एकात्म मानववाद’ के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर वंदन करता हूं। दीनदयाल ने एकात्म मानव दर्शन के माध्यम से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एक समग्र इकाई मानकर आर्थिक प्रगति के साथ नैतिक व सांस्कृतिक उत्थान पर बल दिया। जनसंघ के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने वाला राजनीतिक विकल्प प्रस्तुत किया। दीनदयाल के ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ व ‘अन्त्योदय’ के सिद्धांत हर एक राष्ट्रप्रेमी के लिए प्रेरक हैं।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "महान विचारक और एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। एकात्म मानव का उनका दर्शन और अंत्योदय के उनके विचार हमारे देश को आत्मनिर्भर, समावेशी और सशक्त बनाने की प्रेरणा हैं। उनका सारा जीवन सेवा, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है, जो हम सभी के लिए मार्गदर्शक है।"

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को याद करते हुए कहा, "अंत्योदय की भावना और ‘एकात्म मानववाद’ के माध्यम से पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। उनकी सोच, जीवन दर्शन और देश के प्रति अटूट प्रेम ने हमें सिखाया कि विकास का असली अर्थ अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सुविधाएं सुनिश्चित करना है। ऐसे महान चिंतक, राष्ट्रदृष्टा और मार्गदर्शक को उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन।"

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, "'अंत्योदय' और 'एकात्म मानववाद' के प्रणेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उनका जीवन राष्ट्रसेवा, संगठन और समर्पण का अनुपम आदर्श था। श्रद्धेय दीनदयाल का 'अंत्योदय दर्शन' आज भी वंचितों के उत्थान हेतु पथ-प्रदर्शक है और 'एकात्म मानववाद' भारत की सांस्कृतिक आत्मा को आधुनिक युग की आवश्यकताओं से जोड़ने वाला शाश्वत मार्ग है। उनके आदर्शों से प्रेरित होकर हम समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और न्याय की रोशनी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

Point of View

NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

पंडित दीनदयाल उपाध्याय कौन थे?
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के संस्थापक और एकात्म मानववाद के प्रणेता थे।
मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि क्यों दी?
मोदी ने उनकी जयंती पर उनके राष्ट्रवादी विचारों और अंत्योदय के सिद्धांतों को महत्वपूर्ण बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
एकात्म मानववाद का क्या अर्थ है?
एकात्म मानववाद का अर्थ है व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एक समग्र इकाई के रूप में देखना।
अंत्योदय सिद्धांत क्या है?
अंत्योदय का सिद्धांत अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास और सुविधाएं पहुँचाने का है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का योगदान क्या है?
उनका योगदान भारतीय राजनीति में नैतिकता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में है।