क्या ऑस्ट्रेलिया को भारत का जैविक निर्यात बढ़ा है, किसानों को क्या लाभ हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- भारत का जैविक निर्यात 8.96 मिलियन डॉलर तक पहुँचा है।
- जैविक उत्पादों के लिए MRA की स्थापना हुई है।
- किसानों को बेहतर आय और नई संभावनाएँ मिल रही हैं।
- जैविक मानकों में विश्वास बढ़ा है।
- ऑस्ट्रेलिया में 53 मिलियन हेक्टेयर जैविक कृषि भूमि है।
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात वित्त वर्ष २०२४-२५ में ८.९६ मिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जिसमें कुल २,७८१.५८ मीट्रिक टन जैविक कृषि उत्पादों का निर्यात हुआ है। इसमें ईसबगोल की भूसी, नारियल का दूध और चावल शामिल हैं। यह जानकारी सरकार द्वारा प्रदान की गई है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जैविक उत्पादों के लिए म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट (एमआरए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भारत-ऑस्ट्रेलिया इकोनॉमिक कॉरपोरेशन एंड ट्रेड अरेंजमेंट (ईसीटीए) की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करता है।
इस एमआरए में उगाए और संसाधित किए गए जैविक उत्पाद शामिल हैं, जिसमें समुद्री शैवाल, जलीय पौधे और ग्रीनहाउस फसलें शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, अप्रसंस्कृत पादप उत्पाद, पादप मूल के एक या अधिक अवयवों से बने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और वाइन भी शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, "यह व्यवस्था दोनों देशों के जैविक मानकों और प्रमाणन प्रणालियों में विश्वास को दर्शाती है। एमआरए अनुपालन आवश्यकताओं को सरल बनाएगा और किसानों एवं निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा करेगा।"
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि भारत के जैविक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कठोर मानक निर्धारित करने में राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों को केवल प्रमाणन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक व्यापक प्रणाली के प्रतिबिंब के रूप में देखा जाना चाहिए जो अखंडता बनाए रखती है। जैविक उत्पादों की कीमतें ३०-४० प्रतिशत अधिक होने से किसानों को बेहतर आजीविका का लाभ मिलता है।
उन्होंने जैविक और अजैविक उत्पादों के बीच सख्त अंतर सुनिश्चित करने के लिए लेबलिंग, दंड और नियामक उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, किसानों के लिए अधिक क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और सलाहकार सहायता का भी आह्वान किया।
ऑस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी विभाग के प्रथम सहायक सचिव टॉम ब्लैक ने भारत के तेजी से बढ़ते जैविक क्षेत्र की सराहना की और भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच जैविक व्यापार को बढ़ाने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका की तारीफ की।
उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में ५३ मिलियन हेक्टेयर जैविक कृषि भूमि है और अनाज, चाय, मसालों, पेय पदार्थों और वाइन में व्यापार के अवसरों पर भी प्रकाश डाला।