क्या संसद के बाहर विपक्ष का प्रदर्शन चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाता है?

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया।
- भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगे।
- सभी सांसद शांतिपूर्वक प्रदर्शन में शामिल हुए।
- लोकतंत्र की विधि पर सवाल उठाए गए।
- सरकार ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चुनावों में कथित धांधली, वोट चोरी और एसआईआर प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक बवाल जारी है। इसी संदर्भ में मंगलवार को विपक्ष के सदस्यों ने संसद के बाहर एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत 'इंडिया' ब्लॉक के लगभग सभी सदस्य शामिल हुए। विपक्ष ने '124 साल की मिंता देवी' की टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया, जिनका नाम कथित तौर पर फर्स्ट वोटर में दर्ज है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर वोट चोरी कर रहे हैं और जनता के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
एसआईआर पर कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। यदि चुनाव आयोग की पूरी बुनियाद ही संदेह के घेरे में है, तो चुनाव परिणाम भी संदिग्ध होंगे और लोकतंत्र कमजोर पड़ जाएगा। इस मुद्दे को बार-बार उठाना चाहिए, क्योंकि यह हमारी चुनावी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि 300 सांसद सड़क पर उतरे। सभी सांसद शांतिपूर्वक चुनाव आयोग के पास जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें रोका गया। विपक्ष के सांसदों को हिरासत में लिया गया, और इसी बीच, सरकार ने संसद में बिल पास करा दिया। यह एक प्रकार की तानाशाही है। उन्होंने कहा, "मतदाता सूची पर की गई शिकायतों का चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए था। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने भी मतदाता सूची के माध्यम से सबूत दिए थे। ऐसे में आयोग को स्वस्थ मतदान के लिए आवश्यक जानकारी एकत्र करनी चाहिए थी।"
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, "विपक्ष सरकार को सचेत करने की हर संभव कोशिश कर रहा है, लेकिन सरकार ने अपना मन बना लिया है, वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है और सदन को चलने नहीं देना चाहती है।"
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा का एक विभाग बन चुका है। फर्जी वोटरों का निर्माण करना भाजपा का नियमित काम है। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र में यह एकतरफा था कि भाजपा की सरकार नहीं बनेगी, लेकिन नतीजे पूरी तरह से विपरीत आए। मिंता देवी जैसे मतदाताओं से यह स्पष्ट है कि यह भाजपा और चुनाव आयोग का समग्र योजना है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर पूरे देश को जागरूक करेगी।
इसी तरह, समाजवादी पार्टी के सांसद आदित्य यादव ने कहा कि पिछले 10 दिनों से हमारी एक ही मांग है कि एसआईआर पर चर्चा हो। सरकार कहती रहती है कि वह चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन जिस मुद्दे पर हम चर्चा करना चाहते हैं, उस पर वह चर्चा क्यों नहीं कर रही है? समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा, "लोकतंत्र को बचाने की यह एक लंबी लड़ाई है। हमारी पार्टी ने 18,000 हलफनामे और सबूत जमा किए हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।"