क्या विपक्ष बेवजह वोटर वेरिफिकेशन का विरोध कर रहा है: राज भूषण चौधरी?

सारांश
Key Takeaways
- वोटर वेरिफिकेशन एक नियमित प्रक्रिया है।
- विपक्ष का विरोध राजनीतिक लाभ के लिए हो सकता है।
- मतदाता सूची में सुधार आवश्यक है।
- चुनाव आयोग का कार्य निष्पक्ष होना चाहिए।
- घुसपैठियों की पहचान महत्वपूर्ण है।
मुजफ्फरपुर, १३ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में वोटर वेरिफिकेशन को लेकर चल रही खींचतान के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर बेवजह राजनीति और विरोध कर रहा है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से एक नियमित प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची में समय-समय पर संशोधन किया जाता है, ताकि किसी घुसपैठ या कई स्थानों पर पंजीकृत व्यक्तियों की जांच की जा सके। विपक्ष इसका अनावश्यक विरोध कर रहा है। चुनाव आयोग लगातार यह कार्य कर रहा है और वोटर लिस्ट से घुसपैठियों को बाहर करने का कार्य किया जा रहा है। जनता समझ रही है, बस विपक्ष को समझना बाकी है।
उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण के दौरान जो गलत नाम सामने आएंगे, उन्हें हटाया जाएगा। कई स्थानों पर विदेशी मतदाता के नाम भी सामने आए हैं, जिन्हें चिन्हित कर हटाने का कार्य किया जाएगा। यह वोटर वेरिफिकेशन पूरी मुस्तैदी के साथ किया जा रहा है।
बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का दावा है कि एनडीए सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में हारने वाली है। इसलिए, वोटर लिस्ट में गरीबों और वंचितों का वोट काटकर अपने अनुसार नए वोटर जोड़ना चाहती है, जिससे चुनाव में लाभ मिल सके।
विपक्ष का यह भी कहना है कि यदि आयोग को पुनरीक्षण करना था, तो वह काफी समय पहले करवा सकते थे। चुनाव में बहुत कम समय बचा है, ऐसे में इसे आनन-फानन में कराने की क्या जरूरत है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो विधानसभा चुनाव या अन्य चुनाव के दौरान होती है।