क्या उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया?

सारांश
Key Takeaways
- हरदीप सिंह पुरी ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- 'वोट चोरी' का मुद्दा वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव में 35 सांसदों ने एनडीए को वोट दिया।
- आंकड़े और तर्क महत्वपूर्ण हैं।
- राजनीति में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंडिया गठबंधन पर तीखा हमला किया। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि 'वोट चोरी' के झूठे आरोपों के पीछे असली मंशा है वोट बैंक की राजनीति का उनका कुटिल योजना।
हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में कहा कि यह देखकर दुख होता है कि भारत और हमारी मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था को नीचा दिखाने की एक अनैतिक इच्छा के चलते कुछ राजनेता, जो बालक बुद्धि से प्रभावित हैं, एक भ्रामक मानसिकता का शिकार हो गए हैं। यह मानसिकता उन्हें तर्कसंगतता से दूर रखती है, झूठ बोलने के लिए मजबूर करती है और भारत की चुनावी प्रणाली पर संदेह करने पर विवश करती है।
उन्होंने कहा कि एक दिन वे मतपत्र के समर्थक होते हैं, लेकिन जब चुनाव हार जाते हैं, तो यह नहीं बता पाते कि उपराष्ट्रपति चुनाव में उनके लगभग 35 सांसदों ने मतपत्र के बावजूद एनडीए उम्मीदवार को कैसे वोट दिया।
हरदीप सिंह पुरी ने तंज करते हुए कहा कि वे गोली चलाओ और भाग जाओ की राजनीति में माहिर हैं। उनके आरोप आमतौर पर तथ्यहीन और झूठे आंकड़ों पर आधारित होते हैं और पहली जांच में ही ध्वस्त हो जाते हैं। उनकी कार्यप्रणाली स्पष्ट है; चुनाव हारने के बाद काल्पनिक कारण गढ़ना, चुनाव आयोग से शिकायत न करना और अपने झूठे आंकड़ों पर उन्माद भड़काने की कोशिश करना। काल्पनिक 'वोट चोरी' और चुनावी आंकड़ों पर उठाए गए उनके मुद्दे झूठे साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में नए मतदाताओं के जुड़ने से उनके झूठ का पर्दाफाश हुआ है, जहां 2004 और 2009 में जब यूपीए जीती थी, तब 2024 की तुलना में अधिक मतदाता शामिल हुए थे। उदाहरण के लिए, वायनाड में 93,499 संदिग्ध मतदाता थे, जिनमें 20,438 डुप्लिकेट थे, और रायबरेली में 2,00,089 संदिग्ध मतदाता थे, जिनमें 19,512 डुप्लिकेट थे। इस सभी शोर के पीछे असली उद्देश्य है घुसपैठियों को बढ़ावा देना, असली भारतीयों के जनादेश को चुराना और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना।