क्या विपक्ष के वॉकआउट पर भाजपा का हमला सही है?
सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष का वॉकआउट भाजपा के सांसदों के लिए एक अवसर बन गया।
- भाजपा का कहना है कि विपक्ष सच सुनने में असमर्थ है।
- अमित शाह ने घुसपैठियों के मुद्दे पर स्पष्ट स्थिति रखी।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में 'घुसपैठियों' के मुद्दे पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया, जिससे वे घिर गए हैं। भाजपा के सांसदों का आरोप है कि विपक्ष में सच सुनने की ताकत नहीं है। असलियत यह है कि वे शोर मचाकर महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, "शहीदों की चिता पर भारत के विभाजन के बाद कांग्रेस पार्टी ने सत्ता का लाभ उठाया है। सत्ता सुख भोगने वाले लोगों को देश-दुनिया की जानकारी नहीं होती। राहुल गांधी बिना तैयारी के आए थे। उनके तीन मुख्य बिंदुओं पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सटीक जवाब दिया। विपक्ष ने केवल घुसपैठियों के मुद्दे पर ही वॉकआउट किया।"
उन्होंने आगे कहा, "सदन में गृह मंत्री ने 'वोट चोरी' के मुद्दे पर जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के उदाहरण दिए। इस दौरान विपक्ष ने कोई वॉकआउट नहीं किया, लेकिन जब गृह मंत्री ने कहा कि 'घुसपैठियों को बसाने' और बांग्लादेशी मतदाताओं के सहारे चुनाव जीतने की साजिश राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही है, तो पूरी बात सुनने से पहले ही विपक्ष के नेता सदन छोड़कर चले गए।"
भाजपा सांसद राजू बिस्ता ने भी कहा, "विपक्ष को सच सुनने की ताकत नहीं है। वे शोर मचाकर असल मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं। विपक्ष ने बार-बार सदन को बाधित किया। जब उस पर चर्चा हुई और विपक्ष ने सवाल उठाए, लेकिन जब गृह मंत्री ने जवाब दिया, तो वे उसे सहन नहीं कर पाए। यही कारण है कि विपक्ष के सांसद सदन से बाहर चले गए। इससे जनता भी समझ चुकी है कि विपक्ष किस प्रकार घुसपैठियों को बचाने का प्रयास कर रहा है।"
अमित शाह का उल्लेख करते हुए भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा, "गृह मंत्री ने स्पष्ट किया है कि एनडीए सरकार की एक नीति है। हम एक-एक विदेशी, रोहिंग्या और बांग्लादेशी की पहचान करेंगे, उनका वोट डिलीट करेंगे और उन्हें डिपोर्ट करेंगे। लेकिन विपक्ष अवैध रूप से रह रहे नागरिकों के माध्यम से सत्ता हथियाने का प्रयास कर रहा है।"