क्या विपक्षी सांसदों ने 'जी राम जी बिल' की कॉपी फाड़ी? शिवराज का बापू पर बयान
सारांश
Key Takeaways
- महात्मा गांधी के सिद्धांतों का महत्व
- गांवों का विकास प्राथमिकता
- विपक्ष का हंगामा और आरोप
- शिवराज सिंह चौहान का स्पष्टता से बयान
- सरकार का नया बिल लाने का कारण
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलकर 'विकसित भारत: जी राम जी' बिल करने के संबंध में एक गंभीर बहस हुई। कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस चर्चा का उत्तर देते हुए विपक्ष के आरोपों को निर्णायक रूप से खारिज किया और कहा कि महात्मा गांधी हमारे लिए केवल एक नाम नहीं, बल्कि आस्था, प्रेरणा और विश्वास का प्रतीक हैं।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार बापू का अपमान नहीं कर रही, बल्कि उनके आदर्शों का सम्मान कर रही है।
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उन्होंने रात डेढ़ बजे तक सदस्यों की बातें सुनीं और उत्तर देना उनका अधिकार है। इस दौरान उन्होंने विपक्षी सांसदों के हंगामे पर नाराजगी
उन्होंने कहा कि अपनी बात कहकर दूसरों की बात न सुनना लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन है और यह संविधान की भावना के खिलाफ है। उन्होंने इसे बापू के सिद्धांतों के विपरीत बताते हुए कहा कि यह भी एक प्रकार की हिंसा है।
शिवराज ने आरोप लगाया कि विपक्ष गांवों के विकास से जुड़े इस बिल का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बिल देश के गांवों के उत्थान के लिए लाया गया है और इसका विरोध समझ से परे है।
उन्होंने दोहराया कि सरकार किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करती। चाहे चेन्नई हो या गुवाहाटी, कश्मीर हो या कन्याकुमारी, पूरा देश हमारे लिए एक है। हमारे विचार संकीर्ण और सीमित नहीं हैं।
इस बीच, विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी फाड़कर शिवराज सिंह चौहान की तरफ उछालना शुरू कर दिया।
महात्मा गांधी को याद करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बापू हमारी प्रेरणा, आस्था और विश्वास हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बापू के सिद्धांतों को अपनी पंच निष्ठाओं में शामिल किया है। गांधी जी का मानना था कि गांव भारत की आत्मा हैं, और यदि गांव कमजोर होंगे तो देश भी कमजोर होगा। यह बिल उसी सोच से प्रेरित है और इसे गांवों के विकास को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है।
विपक्ष के भेदभाव के आरोपों पर जवाब देते हुए शिवराज ने कहा कि अलग भाषा, अलग वेश-भूषा और अलग परंपराओं के बावजूद देश एक है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि यह देश हमारे लिए केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है, और कश्मीर इसका मस्तक है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत माता हमारे बचपन का झूला, जवानी की फुलवारी और बुढ़ापे की काशी हैं। पूरे देश का संतुलित और समग्र विकास मोदी सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि संघ ने समाज के लिए जीने वाले लाखों कार्यकर्ता तैयार किए हैं, जो राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने हिंदुत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि 'धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो' और 'वसुधैव कुटुंबकम' ही हिंदुत्व का सार है।
मनरेगा के नाम को लेकर शिवराज ने कहा कि इस योजना का नाम शुरुआत में महात्मा गांधी पर नहीं था। वर्ष 2009 के चुनाव के समय कांग्रेस को गांधी जी याद आए और तब उनके नाम को जोड़ा गया। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने इस योजना को पूरी ताकत से लागू किया है। उन्होंने यूपीए और मोदी सरकार के दौरान सृजित मानव श्रम दिवस और बजटीय खर्च के आंकड़े भी सदन में रखे।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शिवराज ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा सरकार पर सनक में नाम बदलने का आरोप लगा रही हैं, जबकि नाम रखने की सनक कांग्रेस में रही है। उन्होंने लोकसभा में आंकड़े गिनाते हुए कहा कि नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर योजनाएं, सड़कें, संस्थान, उत्सव और यहां तक कि 15 राष्ट्रीय उद्यान तक रखे गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि गांधी जी के नाम पर कितनी योजनाएं वास्तव में चलाई गईं?
शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि मनरेगा के बेहतर क्रियान्वयन का काम मौजूदा सरकार ने किया है। उन्होंने महात्मा गांधी के 1948 के उस कथन का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद कांग्रेस का काम पूरा हो गया है और उसे भंग कर देना चाहिए। शिवराज ने आरोप लगाया कि सत्ता से चिपके रहने की चाह में कांग्रेस ने गांधी जी के इस विचार को नजरअंदाज किया और उसी दिन से उनके आदर्शों की हत्या शुरू हो गई।
शिवराज सिंह चौहान ने मनरेगा की कमियों की ओर भी ध्यान दिलाया और बताया कि सरकार नया बिल क्यों लेकर आई है? उन्होंने कहा कि सरकार ढोंग में नहीं, बल्कि काम में विश्वास रखती है और गांवों के सशक्तीकरण के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी।